यह भी पढ़ें -
रायपुर । मुख्यमंत्री निवास के सामने खुद को आग लगाने वाले हरदेव की मौत अब राजनीति में बदल चुकी है। जहां विपक्षी भाजपा छत्तीसगढ़ सरकार पर निशा...
- Advertisement -
रायपुर। मुख्यमंत्री निवास के सामने खुद को आग लगाने वाले हरदेव की मौत अब राजनीति में बदल चुकी है। जहां विपक्षी भाजपा छत्तीसगढ़ सरकार पर निशाना साध रही है। आज राज्य के बड़े नेता और भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार पर निशाना साधा उन्होंने कहा यह दुर्भाय है कि छत्तीसगढ़ जिसे धान का कटोरा कहा जाता है, यहां बेरोजगारी के कारण एक युवक को आत्महत्या करनी पड़ी। सरकार को चाहिए कि वह पीड़ित परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा दे- उक्त बातें विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कही। आपको बता दें कि धमतरी निवासी हरदेव सिन्हा ने बेरोजगारी से तंग आकर सीएम हाउस के सामने आत्महत्या का प्रयास किया था, जिसकी मंगलवार को इलाज के दौरान मौत हो गयी।
छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में 7 दिनों के लॉकडाउन पर बृजमोहन अग्रवाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि लॉकडाउन को लगाने का तरीका ठीक नहीं। 2-3 दिन में बाजार में जितनी भीड़ हुई, यह कोरोना को फैलाने के लिए काफी है। निगम, मंडल में जिन्हें चेयरमैन बनाया गया वह आज पदभार ग्रहण कर रहे है। सरकार हरेली तिहार मना रही है गोबर खरीद रही है। ये कोरोना को फैलाने के लिए काफी है।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जब भी हम बेरोजगारी का मुददा उठाते हैं तो कांग्रेस सरकार हमारी कार्यकाल को याद करने लगती है। सवाल सरकार से पूछा जाता है, आज वह सत्ता में है तो उन्हें जवाब देना होगा। सरकार को चाहिए कि रूकी हुई भर्तियों पर से रोक हटाए और बेरोजगारों को रोजगार दें।
बृजमोहन अग्रवाल ने आगे रूकी हुई भर्तियों को लेकर कहा कि सरकार को भर्ती शुरू करना चाहिए. सारी भर्तियों पर रोक लगा दी गई है. जब भी हम सवाल उठाते है, कांग्रेस सरकार, बीजेपी सरकार के वक़्त का मुद्दा उठती है. आज सरकार में कांग्रेस बैठी है. सवाल सरकार से पूछा जाएगा. जनता ने हमें पिछले चुनाव में जवाब देकर कांग्रेस को सत्ता में बिठाया है.
तेंदूपत्ता मजदूरों को भुगतान नहीं कराने पर कांग्रेस सरकार विपक्ष के निशाने पर है. इसे लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि क्या तेंदूपत्ता खरीदी केंद्र सरकार करती है ? बीमा और खरीदी राज्य करती है. 1 जून 2019 तक इंश्योरेंस का प्रीमियम पटाना था. राज्य सरकार अपनी गलतियों को केंद्र पर थोपती है. ये सरकार वनवासियों के नाम पर चुनकर आई है. इसके बावजूद 596 करोड़ रुपये तेंदूपत्ता की राशि क्यों नहीं बांटी गई? 2 साल में कितने वनवासी बच्चों को छात्रवृत्ति दी गई ? हजारों तेंदूपत्ता संग्राहक जिनके परिवार में मृत्यु हो गई, उन्हें बीमा का मुआवजा मिल सकता था. इसकी जिम्मेदार सरकार है। वनवासियों के पैसे पर ये सरकार कुंडली मारकर बैठी है।
No comments