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कांकेर / इलाज के लिए जाना पड़ा नदी पार कर मिलों दूर, ग्रामीण हो रहे परेशान

रायपुर।   हमने हमारे बुजुर्गो से अक्सर सुना है कि वो स्कूल या स्वास्थ्य संबंधी आवशयकताओं के लिए कैसे मीलों दूर जाते थे, नदी भी पार करनी पड़त...


रायपुर।  हमने हमारे बुजुर्गो से अक्सर सुना है कि वो स्कूल या स्वास्थ्य संबंधी आवशयकताओं के लिए कैसे मीलों दूर जाते थे, नदी भी पार करनी पड़ती थी, लेकिन आजादी के इतने साल के बाद भी छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में ये कहानियां आने वाली पीढ़ी भी सुनेगी। 

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के गांव आलदंड की रहने वाली 12 साल की मानकी को अपना इलाज कराने के लिए 5 किमी पैदल चलना पड़ा। दरअसल, उसकी मंगलवार रात को तबीयत बिगड़ गई थी। गांव में इलाज की कोई सुविधा नहीं थी। इसलिए रात घर में ही रखना पड़ा। सुबह परिजन 5 किमी पैदल चल कर बीमार मानकी को लेकर बेचाघाट पहुंचे। यहां कोटरी नदी को पार करने के लिए नाव का एक घंटा इंतजार करना पड़ा। इसके बाद परिवार छोटेबेठिया उपस्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां मानकी का इलाज हुआ।

आलदंड से छोटेबेठिया की दूरी 6 किमी है। बीच में कोटरी नदी नाव से पार करना पड़ता है। नदी पर पुल नहीं है। छोटेबेठिया के अलावा सितरम में भी उपस्वास्थ्य केंद्र है जहां की दूरी आलदंड से 14 किमी है, और बीच में नदी नाले जैसी समस्याएं नहीं है लेकिन वहां जाने पर भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता मिलेंगे या नहीं यह तय नहीं रहता। इसीलिए आलदंड के ग्रामीण मजबूरी में नाव से नदी पार कर छोटेबेठिया उपस्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं। आजादी के इतने साल बाद भी इन ग्रामीणों के लिए उपस्वास्थ्य केंद्र जैसी मामूली सुविधाएं भी नसीब में नहीं हैं।

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