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राष्ट्रीय कवि संगम ने किया साहित्य मनीषी लाला जगदलपुरी जी का पुण्यस्मरण

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जगदलपुर : राष्ट्रीय कवि संगम की जिला इकाई जगदलपुर बस्तर द्वारा -वनवासी विकास समिति कार्यालय शांतिनगर में दिनांक: 14.08.2021 दिन शनिवार को स...

जगदलपुर : राष्ट्रीय कवि संगम की जिला इकाई जगदलपुर बस्तर द्वारा -वनवासी विकास समिति कार्यालय शांतिनगर में दिनांक: 14.08.2021 दिन शनिवार को साहित्य मनीषी लाला जगदलपुरी जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम के सदस्यों द्वारा लाला जी के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि दी गयी एवं लाला जी की अजेय रचनाओं का पाठ किया गया।उपस्थित कवियों व साहित्यकारों द्वारा उनके विशिष्ट व्यक्तित्व, विशाल साहित्यिक योगदान एवं बस्तर व साहित्य को समर्पित जीवन के विविध पहलुओं का पुण्यस्मरण किया गया।
ऋषि शर्मा ऋषि जी ने अपने शब्दों से श्रद्धांजलि अर्पित की-- "जिनके दिल में धड़कता था बस्तर, जिनकी आंखों में बसता था बस्तर। लाला जी का जीवन ही कुछ ऐसा था, उनके हर अंदाज में झलकता था बस्तर।"
चमेली कुर्रे ने लालाजी की कविता "बहुत हो चुका" पढ़ी-
"हम गले से गले तो बहुत मिल चुके, अब चलो मन मिलाएं बहुत हो चुका।
प्यार के गीत भी हम बहुत गा चुके,प्यार को अब निभाएं बहुत हो चुका..."
पूर्णिमा सरोज ने लाला जी की कविता ...
"दहकन का अहसास कराता चंदन कितना बदल गया है। मेरा चेहरा मुझे डराता दरपन कितना बदल गया है .." पढ़ी
कृष्णशरण पटेल ने भी लाला जी की एक खूबसूरत गज़ल पढ़ी--
"कंधे हाथ मिले बेशक पर दिल का पता नहीं।
राह मिली रफ्तार मिली पर मंजिल का पता नहीं।"
वहीं शशांक श्रीधर ने लाला जी के साथ बिताये अविस्मरणीय पलों को याद किया।
इस अवसर पर अध्यक्ष ऋषि शर्मा ऋषि, शशांक श्रीधर शेंडे, पूर्णिमा सरोज, चमेली कुर्रे, शायरा खान, कृष्णशरण पटेल, श्याम जी, सहदेव, संजय जी एवं राष्ट्रीय कवि संगम के सदस्यगण व साहित्यकार उपस्थित थे।

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