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वित्त मंत्री: आज से दो दिन के मुंबई दौरे पर निर्मला सीतारमण, वरिष्ठ अधिकारियों से करेंगी मुलाकात

• वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 24 और 25 अगस्त को आयकर विभाग और जीएसटी के के वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग जगत के दिग्गजों से मुलाकात करेंगी। स...

• वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 24 और 25 अगस्त को आयकर विभाग और जीएसटी के के वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग जगत के दिग्गजों से मुलाकात करेंगी। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की सालाना समीक्षा भी करेंगी। 

नई दिल्ली : -  मंत्री निर्मला सीतारमण आज से दो दिन के मुंबई दौरे पर हैं। आज वे सबसे पहले बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगी। इसके बाद सीतारमण माल एवं सेवा कर (GST) के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगी। इसके साथ ही वित्त मंत्री भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के आयोजित समारोह में उद्योग जगत के दिग्गजों से मुलाकात करेंगी। मालूम हो कि जब से देश में महामारी शुरू हुई हौ, तब से अब तक यह वित्त मंत्री का पहला मुंबई दौरा है। 

दौरे के दूसरे दिन का शेडियूल
दौरे के दूसरे दिन केंद्रीय वित्त मंत्री बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की सालाना समीक्षा भी करेंगी। वह इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) के एनहांस्ड एक्सेस एंड सर्विस एक्सीलेंस (EASE 4.0) को लॉन्च करेंगी। एनहांस्ड एक्सेस एंड सर्विस एक्सीलेंस का मकसद क्लीन और स्मार्ट बैंकिंग को संस्थागत रूप देना है। देश में पिछले साल मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत होने के बाद से यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सरकारी बैंकों के प्रमुखों की आमने-सामने की पहली समीक्षा बैठक है।

नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइप लाइन लांच
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना की शुरुआत का एलान किया। इसके तहत सरकार अपनी कम इस्तेमाल में आ रहीं संपत्तियों के जरिए करोड़ों रुपए जुटाना चाहती है। इसके लिए सरकार अपनी कोई संपत्ति नहीं बेचेगी। दावा है कि इसके लिए कोई निजीकरण भी नहीं होगा। 

किन संपत्तियों के जरिए यह कमाई होगी?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि NMP योजना सिर्फ ब्राउनफील्ड असेट्स के लिए है। यानी ऐसी संपत्तियां, जिनमें केंद्र सरकार का निवेश है और जहां संपत्ति या तो बेकार पड़ी है या फिर उससे पूरी तरह कमाई नहीं हो पा रही है या फिर उसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। इन संपत्तियों पर सरकार का मालिकाना हक बना रहेगा। सरकार के साथ कंपनियां एक अनुबंध के तहत भागीदारी करेंगी ताकि बेकार पड़ीं या कम इस्तेमाल में आ रहीं संपत्तियों से कमाई हो सके।


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