कलम से : स्कूल की दीवार पर लिखा है - 'शिक्षक समाज का निर्माता है ,' पर स्कूल खुलने पर शिक्षक नही आता , आता है मास्टर । मास्टर जो शि...
कलम से : स्कूल की दीवार पर लिखा है - 'शिक्षक समाज का निर्माता है ,' पर स्कूल खुलने पर शिक्षक नही आता , आता है मास्टर । मास्टर जो शिक्षक होने नाटक करता है , मास्टर जो डंडा पकड़ता है ,जिसके आने से बच्चे थर - थर कांपते हैं , मास्टर जो प्रार्थना में खड़े लड़के को इसलिए डंडे से मारता है क्योंकि उसके कपड़े गंदे हैं , मास्टर जो समय में फीस जमा नहीं करने पर पूरी क्लास के सामने ज़लील करता है , मास्टर जो ट्यूशन में आने वाले चेहरों को प्रैक्टिकल नंबर बांटता है , मास्टर जिसके लिए गणित का नियम एक बार में न समझ पाने वाला बच्चा बेवकूफ (या गधा ) है , मास्टर जो कहता है - 'तुम सौ बार पूछो, मैं सौ बार बताऊँगा' ,और दूसरी ही बार पूछने पर मुर्गा बना देता है या दोनों हाथ ऊपर करके 45 मिनट तक खड़े रहने की सजा देता है , जो उंगलियों को डंडों के बीच मसलता है या बाल पकड़कर ब्लैकबोर्ड पर सर पटकता है । मास्टर जो सवाल करना नही सिखाता, सिखाता है सिर्फ जवाब सुनना , जो समाज का निर्माण नही करता बल्कि बचपन का गला घोंटता है , वो चाहता है बच्चों को अपने जैसा बनाना , वो चाहता है सबको एक ढाँचे में ढालना ।
शिक्षक और मास्टर में अंतर -
शिक्षक वो है जिसके लिए सभी बच्चे होशियार हैं , मास्टर वो है जिसके लिए सिर्फ वो ही बच्चे होशियार हैं जिनके टेस्ट में अच्छे नंबर है ।
ये कहानी पढ़िए -
जंगल के स्कूल का पहला दिन । मास्टर ने कहा - आज सभी तैरते हुए नदी पार करेंगे । सुनकर मछली खुश हुई बाकी जानवर हैरान । सभी जानवर नदी किनारे पहुंचे । रेस शुरू हुआ । बन्दर घुटने तक पानी में जाते ही वापस लौट आया। चिड़िया पेड़ की डाल पर ही बैठी रही । शेर जब तक नदी पार करता मछली रेस जीत चुकी थी । मास्टर ने ऐलान किया - मछली स्कूल की सबसे होशियार स्टूडेंट है ।
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