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प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर और लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति शोध संस्थान बस्तर, ने दिवंगत साहित्यकार कीर्तिशेष हरिहर वैष्णव को दी श्रद्धांजलि

जगदलपुर : प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर और लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति शोध संस्थान, बस्तर, जगदलपुर द्वारा गत दिनों दिवंगत हुए हि...

जगदलपुर : प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर और लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति शोध संस्थान, बस्तर, जगदलपुर द्वारा गत दिनों दिवंगत हुए हिन्दी और हल्बी तथा बस्तर की अन्य बोलियों के कवि, कहानीकार, बस्तर के लोक जीवन, संस्कृति के कुशल चितेरे, यहाँ की प्रसिद्ध वाचिक परंपरा के आख्यान, महाआख्यानों के दस्तावेज बनाकर उन्हें स्थायी बनाने वाले जीवट व्यक्तित्व के धनी कीर्तिशेष हरिहर वैष्णव की स्मृति में एक शोक सभा का आयोजन 26 सितंबर 2021 को अपरान्ह चार बजे स्थानीय नयापारा स्थित पत्रकार भवन में किया गया। हरिहर वैष्णव के साथ -साथ इस शोक सभा में प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष, उर्दू के प्रसिद्ध लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत अली जावेद और राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव,प्रसिद्ध लेखक और सिने समीक्षक, पिंक सिटी प्रेस क्लब, जयपुर के अध्यक्ष दिवंगत ईश मधु तलवार को भी श्रद्धांजलि दी गई। जिनका निधन क्रमशः ३१अगस्त २०२१और १७सितंबर २०२१ को हुआ था। 
दिवंगतों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित कर एक मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद प्रायः सभी उपस्थित शोकाकुल साहित्य -संस्कृति प्रेमियों ने अपने वक्तव्य रखे। संचालन करते हुए जगदीश चंद्र दास ने हरिहर वैष्णव, अली जावेद और ईश मधु तलवार पर संक्षिप्त परिचयात्मक टिप्पणी रखी। विक्रम सोनी ने हरिहर वैष्णव के व्यक्तित्व और रचना संसार पर विस्तार से बात रखी।
हरिहर वैष्णव ने लोक संस्कृति के विभिन्न पक्षों पर शोध और दस्तावेजीकरण पर ध्यान केन्द्रित किया और फलस्वरूप हमारे लिए अनमोल रचनाएं छोड़ गए हैं जो बस्तर और दूसरे क्षेत्रों के लोक जीवन और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं से जुड़े हुए हैं। 
पूर्णिमा सरोज, विमल तिवारी, अवधकिशोर शर्मा, नरेंद्र पाढ़ी, सुषमा झा, सुनील कुमार श्रीवास्तव, चमेली कुर्रे सुवासिता, मदन आचार्य, योगेन्द्र राठौर ने अपने विचार और संस्मरण रखे और कहा कि हरिहर वैष्णव ने लोक संस्कृति के क्षेत्र में जो राह बनाई है उस पर चलकर अपनी -अपनी रचनाशीलता से और समृद्ध करने का संकल्प बस्तर का हर लेखक ले। बस्तर के लेखकों, संस्कृति कर्मियों के जीवन और कर्म पर आधारित पुस्तिकाओं के लेखन और प्रकाशन का कार्य भी पूरा करने का संकल्प लिया गया। इसकी परिकल्पना भी हरिहर वैष्णव की थी। 
योगेंद्र मोतीवाला, सुभाष श्रीवास्तव, वंदना राठौर, सतीश तिवारी और वसंत कुमार चव्हाण भी इस शोकसभा में शामिल थे। 

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