नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में हंगामे और अनुशासनहीनता के आरोप में राज्यभा के 12 सासंदों को निलंबित कर दिया गया है. ये सांसद अब सदन की ...
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नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में हंगामे और अनुशासनहीनता के आरोप में राज्यभा के 12 सासंदों को निलंबित कर दिया गया है. ये सांसद अब सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे. विपक्ष ने इस फैसले की निंदा करते हुए इस निलंबन को अलोकतांत्रिक कहा. सांसदों को निलंबित किए जाने के विरोध में पूरा विपक्ष शीतकालीन सत्र का बहिष्कार करने की तैयारी में है. आज होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में इस पर फैसला लिया जाना है. निलंबित किए गए सांसद कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना, सीपीएम से हैं.इस मामले पर आगे की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज सुबह 10 बजे विपक्षी दलों की अहम बैठक बुलाई है. संसद सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही से पहले होने वाली इस बैठक के लिए TMC को भी बुलावा भेजा गया है. राज्य सभा के साथ-साथ लोक सभा के नेता भी इस बैठक में शामिल होंगे. यह बैठक मल्लिकार्जुन खड़गे के दफ्तर में होगी. सूत्रों के मुताबिक कई विपक्षी दल चाहते हैं कि सरकार से बातचीत कर निलंबन को वापस करवाया जाए, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो संसद के अंदर और बाहर प्रदर्शन किया जाएगा।
संसद में सवाल भी हों और शांति भी
जिन 12 सांसदों को निलंबित किया गया है उसमें एलामारन करीम CPM से और कांग्रेस की फूले देवी नेता, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह और सीपीआई के बिनॉय विश्वम, टीएमसी की डोला सेना व शांता छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई शामिल हैं.
संसद का शीतकालीन सत्र कल से शुरू हो गया है. सत्र शुरू होने से पहले संसद भवन परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘संसद में सवाल भी हों और संसद में शांति भी हो. हम चाहते हैं संसद में सरकार के खिलाफ, सरकार की नीतियों के खिलाफ, जितनी आवाज प्रखर होनी चाहिए वह हो, लेकिन संसद की गरिमा, अध्यक्ष व आसन की गरिमा. इन सब के विषय में हम वह आचरण करें, जो आने वाले दिनों में देश की युवा पीढ़ी के काम आए.’
कृषि कानून की वापसी पर दोनों सदनों की मुहर
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा ने सोमवार को तीन विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को बिना चर्चा के मंजूरी प्रदान कर दी. इससे पहले इस निरसन विधेयक को लोकसभा में बिना चर्चा के पारित किया गया. विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा किया लेकिन इसे नजरअंदाज करते हुए विधेयक को पहले लोकसभा और फिर उसके बाद राज्यसभा में पारित कर दिया गया.
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