रौशन होता जीवन सुषमा अग्रवाल ज्योत-से-ज्योत जलते देखी है आपने ज्ञान से मन की ज्योत जलते देखी है मैंने। सूरज की तपिश से रौशन जहाँ देखा...
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रौशन होता जीवन सुषमा अग्रवाल
ज्योत-से-ज्योत
जलते देखी है आपने
ज्ञान से मन की ज्योत
जलते देखी है मैंने।
सूरज की तपिश से
रौशन जहाँ देखा है आपने
ज्ञान से रौशन होता
जीवन देखा है मैंने।
है फ़रियाद हर बचपन,
जवानी और बुढ़ापे से मेरी
बसाएं हम इक ऐसा जहाँ
न हों मज़हब की दीवारें
और नफ़रत के शोले वहाँ
बहे प्रेम का दरिया
जले मिट्टी के सदभावी दीप
और रौशन हो
हर मानव का अंतर्मन।
गर हो जाये ऐसा तो
चाहत हो पूरी इंसां की
बन जाए ज़न्नत यह रौशन ज़मीं।
सुषमा अग्रवाल
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