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रूस ने किया हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली `जिरकॉन` का परीक्षण

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मास्को/नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को घोषणा की कि देश के रक्षा बलों ने जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली का परीक...



मास्को/नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को घोषणा की कि देश के रक्षा बलों ने जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली का परीक्षण किया है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि शुक्रवार सुबह, जिरकॉन हाइपरसोनिक प्रणाली को -लॉन्च किया गया था। यह हमारी नवीनतम मिसाइल है जो नौसेना और जमीनी दोनों लक्ष्यों पर हमला कर सकती है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि प्रक्षेपण का उद्देश्य रूस की सुरक्षा और रक्षा क्षमता को बढ़ाना था। परीक्षण बिल्कुल सफल और त्रुटिहीन रहे। पुतिन ने कहा है कि जिरकॉन मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से नौ गुना तेजी से उड़ान भरेगी और इसका दायरा 1,000 किलोमीटर तक है।

यूक्रेन के साथ तनाव के बीच रूस ने उठाया यह कदम

रूस के द्वारा यह कदम तब उठाया गया है जब यूक्रेन की सीमा पर तनाव जारी है और अमेरिका की ओर से बार-बार चेतावनी दी गई है कि रूस ने यूक्रेनी सीमा पर 100,000 से अधिक सैनिकों को जमा किया है। वहीं इस बीच, रूस की समाचार एजेंसी टीएएएसएस ने एक स्थानीय समाचार पत्र के हवाले से बताया कि रूसी सैनिकों को अगले साल वेरी शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस (VSHORAD) गिब्का-एस सिस्टम प्राप्त करने की तैयारी है। गिब्का-एस प्रणाली का परीक्षण रूसी सेना ने दो साल पहले किया था।

गिब्का-एस मिसाइलें की खूबियां

रिपोर्टों में कहा गया है कि गिब्का-एस मिसाइलें कम और सीमित दृश्यता पर ड्रोन, क्रूज मिसाइल और उच्च-सटीक हथियारों को रोक सकती हैं। तनाव कम करने के प्रयास में रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसके अधिकारी सुरक्षा गारंटी पर नाटो के साथ सीधी बातचीत के लिए तैयार हैं।

रूस और नाटो देश के बीच मतभेद

रूस ने पहले नाटो और अमेरिका को सुरक्षा गारंटी पर एक दस्तावेज प्रस्तुत किया था जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि पश्चिमी सैन्य गठबंधन को पूर्व में अपने प्रभाव का विस्तार नहीं करना चाहिए और यूक्रेन का जिक्र करते हुए पूर्व सोवियत ब्लॉक देशों को नाटो सदस्यता देने से बचना चाहिए। इससे पहले नाटो ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि रूस की हाइपरसोनिक मिसाइल यूरोप अटलांटिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।

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