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प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर ने पत्रकार, साहित्य समीक्षक, इतिहास और बस्तर की लोक संस्कृति के उद्भट विद्वान गोपाल सिम्हा की स्मृति में सभा की

जगदलपुर. २४फरवरी २०२२ शहर के गणमान्य नागरिक, पत्रकार, स्थानीय लोक संस्कृति के ज्ञाता और अध्येता, कवि और समीक्षक तथा प्रगतिशील लेखक संघ, जगदल...


जगदलपुर. २४फरवरी २०२२
शहर के गणमान्य नागरिक, पत्रकार, स्थानीय लोक संस्कृति के ज्ञाता और अध्येता, कवि और समीक्षक तथा प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर के वरिष्ठ सदस्य दिवंगत गोपाल सिम्हा की स्मृति में एक शोकसभा नयापारा के पत्रकार भवन में प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा रखी गई। आरंभ में गोपाल सिम्हा के तस्वीर पर श्रद्धा पुष्प अर्पित कर उनके स्मरण में एक मिनट का मौन रखा गया। सभा की शुरुआत में अपने विचार रखते हुए जगदीश चंद्र दास ने गोपाल सिम्हा  को बहुआयामी व्यक्तित्व का बताया जो साहित्य की प्रायः हर विधा में  दखल रखने वाले, समीक्षक, पत्रकार और लोक संस्कृति का ज्ञाता और अध्येता थे। उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया।  आचार्य ने अपने संस्मरण में कहा कि चालीस - पैंतालीस वर्षों पूर्व से ही गोपाल सिम्हा जगदलपुर के साहित्य संस्था उद्गम साहित्य समिति और प्रगतिशील लेखक संघ के सक्रिय सदस्य थे और यथासम्भव प्रत्येक गोष्ठी में शामिल रहते थे। अपने आत्मीय,पारिवारिक सम्बन्धों का ज़िक्र भी मदन आचार्य ने किया। 
नगर के वरिष्ठ रंगकर्मी और आकाशवाणी के पूर्व उद्घोषक एम. ए. रहीम ने दिवंगत गोपाल सिम्हा के व्यक्तित्व को, लोक संस्कृति के क्षेत्र में उनके ज्ञान के कद को मीनार की तरह ऊँचा कहा। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा के परिष्कृत रूप के वे ज्ञाता थे। उर्दू भाषा पर भी उनकी अच्छी पकड़ थी। भतरी के श्रृंगार गीतों पर गोपाल सिम्हा ने विशेष काम किया है। बस्तर के क्रांतिकारियों पर भी उन्होंने लिखा है।
सुश्री उर्मिला आचार्य ने गोपाल सिम्हा के समग्र व्यक्तित्व की चर्चा की और कहा कि गोपाल सिम्हा ओड़िया भाषा के साहित्य की भी पूरी जानकारी रखते थे। 
योगेंद्र मोतीवाला ने गोपाल सिम्हा को साहित्य और इतिहास की जानकारी रखने वाला उद्भट विद्वान बताया। 
योगेंद्र राठौर ने गोपाल सिम्हा को तेवर और ताप का कवि कहा। 
इस शोकसभा में हरीश साहू, प्रकाश चंद्र जोशी और सुनील  श्रीवास्तव भी उपस्थित थे। 


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