होली के रंग बिखरे कविताओं के माध्यम से। जगदलपुर : राष्ट्रीय कवि संगम बस्तर ज़िला इकाई की ओर से होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया जिसमें कवि...
होली के रंग बिखरे कविताओं के माध्यम से।
जगदलपुर : राष्ट्रीय कवि संगम बस्तर ज़िला इकाई की ओर से होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विशेष रूप से पद्मश्री धर्मपाल सैनी जी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ किया गया। कार्यक्रम में अपनी कविता पढ़ते हुए कवयित्री चमेली कुर्रे ने कहा-
"होली का पावन दिवस लगा प्रेम का रंग।
भेदभाव मन से मिटे, मिटी अक्ल की जंग।।"
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कवि अवधकिशोर शर्मा ने इस अवसर पर कविता सुनाई-
"कुछ मंचों की चमक दमक में रहे अपरिचित गीत हमारे, क्योंकि अपनी महानगर के लोगों से पहचान नहीं है।"
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अनिल शुक्ला ने अपनी कविता पढ़ी-
"बेरंग सी इस नफरत को मिटाएं,
आओ मिलकर मोहब्बत का रंग लगाएं।"
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कवि राजकुमार जायसवाल ने प्रेम गीत का पाठ किया-
"चुका कई बार तुमसे, प्रेम का मनुहार साथी।"
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सुरेश विश्वकर्मा चितेरा ने होली पर अपनी रचना सुनाई-
"तेरा इंतजार है होली में"
~~कार्यक्रम में शामिल कवि सनत जैन ने हास्य कविता की प्रस्तुति दी-
"पहला प्रणाम पत्नी को।"
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बिपिन बिहारी दास ने बस्तर का डंडारी नृत्य पर गाए जाने वाला गीत प्रस्तुत किया-
"डंडारी बाजे टिकटाक--बादरी गरजला।"
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गीतकार भरत गंगादित्य ने हल्बी में होली गीत प्रस्तुत किया-
"फागुन महिना थे दादा, इया खेलुं आमी होरी।
बांधुन मया चो डोरी, इया खेलुं आमी होरी।।"
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पद्मश्री धर्मपाल सैनी ने भी होली पर अपनी रचना का पाठ किया-
"प्रेम के रंग में सत्य का रंग बरसे ।
वहां ईश्वर की कृपा का रंग सरसे।।"
इस कार्यक्रम में शिवसागर त्रिपाठी, बसंत चौहान, विमल तिवारी, नरेंद्र यादव, पूर्णिमा सरोज, सुकांति जायसवाल, ममता जैन मधु और ज्योति देवांगन ने भी अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन भरत गंगादित्य के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में छोटे बालक साहिल के द्वारा शिव तांडव नृत्य प्रस्तुत किया गया,जिसे सभी की सराहना मिली।आभार प्रदर्शन सुरेश विश्वकर्मा 'चितेरा' ने किया। कार्यक्रम के आयोजन में किरण विश्वकर्मा, ज्योति देवांगन, रजनी पाठक, जय श्री शेंडे, राहुल विश्वकर्मा, देवेंद्र सागर और गंगासागर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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