रायपुर : राज्यपाल एवं इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ शाखा की अध्यक्ष सुश्री अनुसुईया उइके ने विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर आज राजभवन में...
रायपुर : राज्यपाल एवं इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ शाखा की अध्यक्ष सुश्री अनुसुईया उइके ने विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर आज राजभवन में प्रदेश के सभी जिलों से आए स्वैच्छिक रक्तदाताओं एवं रेडक्रास सोसायटी को सहयोग देने वाली 60 स्वयंसेवी संस्थाओं एवं उच्च शैक्षणिक संस्थाओं के साथ छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय सम्मान दिलाने वाले अलेक्जेंडर को सम्मानित किया। यह कार्यक्रम इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर संस्था की वेबसाईट का शुभारंभ एवं त्रैमासिक पत्रिका के प्रथम अंक का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर संस्था द्वारा बीजापुर जिले के लिए एक एम्बुलेंस भी प्रदान किया गया।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि रक्तदान महादान है और यह अत्यंत पुण्य का कार्य है। रक्तदान के जरिए एक व्यक्ति दूसरों को नई जिंदगी देता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आगे आएं और इस नेक कार्य में रेडक्रॉस सोसायटी का सहयोग करें। आप रक्तदान कर न केवल उस मरीज की जान बचाते हैं बल्कि उस मरीज के परिवार को भी नया जीवन देते हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के जीवन से बहुत सारे लोगों का जीवन और उनकी भावनाएं जुड़ी होती हैं। उन्होंने रक्तदाताओं एवं रक्तदान से जुड़ी स्वयंसेवी संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थाओं को इस पुनीत कार्य में सहयोग करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं को अपने परिसर में कैम्प लगाकर सभी विद्यार्थियों का रक्त परीक्षण कर उनके रक्त समूह एवं टेलीफोन नंबर की एक समग्र सूची बनाना चाहिए, जिससे रेडक्रॉस को एवं जरूरतमंदों को आवश्यकता पड़ने पर तत्काल खून उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि आज भी इस दिशा में जनजागरूकता की कमी है और दूरदराज के इलाकों में खून की जरूरत पड़ने पर लोगों को भटकना पड़ता है। सुश्री उइके ने प्रदेश की स्वयंसेवी संस्थाओं की सराहना की और कहा कि प्रदेश के सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता लाने के कार्य किये जाने चाहिए।
सुश्री उइके ने कहा कि आधुनिक विज्ञान ने काफी तरक्की की है, लेकिन आज तक विज्ञान के द्वारा न तो मानव रक्त का विकास किया जा सका है न ही इसका किसी प्रकार का कोई विकल्प तैयार किया जा सका है। जब भी खून की जरुरत पड़ती है इसे मानव शरीर से ही प्राप्त करना पड़ता है। रक्त हमारे शरीर का एक ऐसा तत्व है जिसका जीवनकाल 90 दिनों का ही होता है और इसके उपरांत यह शरीर में नया बनना प्रारंभ हो जाता है। इसके नष्ट होने से पहले किसी अनजान व्यक्ति के जीवन को बचाने के लिए दान देने वाले आप सभी रक्तदाता धन्य हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान भी अधिकाधिक मात्रा में रक्त के एक भाग प्लाज्मा की जरूरत पड़ी थी। तब भी इसकी जरूरत के लिए लोगों से इसके दान की अपील की गई थी। राज्य में जरूरतमंद मरीजों को रक्त की पूर्ति के लिए यह आवश्यक है कि आप जैसे रक्तदाताओं एवं रक्तदान के लिए कार्य करने वाली संस्थाओं से प्रभावित होकर अधिक से अधिक संख्या में लोग जागरुक हों और स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आगे आएं।
उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में इलाज के लिए मरीजों को हर साल करीब 3 लाख यूनिट खून की आवश्यकता होती है परंतु राज्य के ब्लड बैंकों से लगभग 30 प्रतिशत ही पूर्ति हो पाती है। उन्होंने रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ शाखा के कार्यों की सराहना की और कहा कि रेडक्रॉस ब्लड सेंटर रक्त की उपलब्धता के लिए निरंतर अपना योगदान दे रहा है। रेडक्रॉस ब्लड सेंटर रक्त के बदले रक्त की मांग नहीं करता है, और ना ही कोई अतिरिक्त चार्ज लेता है। रेडक्रॉस का मरीजों के लिए किया जा रहा यह कार्य निश्चय ही सराहनीय है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि लोगों के सहयोग और संस्थाओं के प्रयास से राज्य के प्रत्येक जिले में रेडक्रॉस के एक आधुनिक ब्लड सेंटर की स्थापना की जा सकेगी, ताकि लोगों को सुरक्षित रक्त उपलब्ध हो सके।
कार्यक्रम को राज्यपाल के सचिव श्री अमृत कुमार खलखो ने संबोधित करते हुए कहा कि रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध कराने के अलावा अनेक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि रक्तदान सबसे बड़ा दान है और हर स्वस्थ व्यक्ति को अपने जीवन में रक्तदान अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में भी रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ के स्वयंसेवक लगातार मरीजों की सेवा एवं उन्हें सामग्री पहुंचाने में लगे रहे। उन्होंने बस्तर के श्री अलेक्जेंडर एम. चेरियन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने कोविड महामारी के भयंकर दौर में भी कोरोना से मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार किया, जब मृतक के उनके अपने परिजन भी इससे डर रहे थे। अलेक्जेंडर ने कोविड मरीजों को भी घर से अस्पताल पहुंचा कर जान बचाई, दवाई पहुचाई। रेडक्रॉस को लोगो के बीच तक पहुंचाया है इस सेवाभावी कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर रेडक्रॉस मेरिट सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया। पूरे देश में 6 व्यक्तियों को सम्मानित किया गया था, जिसमें श्री अलेक्जेंडर चेरियन भी प्रथम स्थान में शामिल है। उनका यह कार्य सबके लिए एक प्रेरणा है। इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी के चेयरमैन अमृत खलको ने बस्तर रेडक्रॉस का उदाहरण देते हुए रेडक्रॉस की महत्ता पर प्रकाश डाला। इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ शाखा के सचिव श्री प्रणव सिंह ने संस्था की गतिविधियों के संबंध में जानकारी दी।
इस अवसर पर राज्यपाल के विधिक सलाहकार श्री राजेश श्रीवास्तव, राज्यपाल के उप सचिव श्री दीपक कुमार अग्रवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी सहित शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों, उच्च शैक्षणिक संस्थानों के कुलपति, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं स्वैच्छिक रक्तदाता उपस्थित थे।
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