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विश्व पर्यावरण दिवस पर हसदेव जंगल बचाने की मांग विभिन्न संगठनों ने किया

अंबिकापुर : शहर के विभिन्न संगठनों ने शहर के मुख्य मार्गों से रैली निकालकर कारपोरेट परस्त केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ नारे लगाए और हसद...

अंबिकापुर : शहर के विभिन्न संगठनों ने शहर के मुख्य मार्गों से रैली निकालकर कारपोरेट परस्त केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ नारे लगाए और हसदेव अरण्य को अडानी के चंगुल से मुक्त कराने का संकल्प लिया। शहर की मुख्य सड़कों से भ्रमण कर यह रैली विशाल आम सभा में परिवर्तित हो गई। अंबिकापुर इप्टा के द्वारा "गांव छोड़ब नाही, जंगल छोड़ब नाही" जनगीत प्रस्तुत किया।


तत्पश्चात वक्ताओं ने हसदेव अरण्य को छत्तीसगढ़ के फेफड़ों के रूप में निरूपित किया। भारत का सबसे विशाल और अविभाजित अरण्य आज खतरे में है, लालची कारपोरेट अपने मुनाफे की लालसा में अंधाधुंध कोयले का दोहन करने में लगे हैं। कोयला खदान का विस्तार करने के लिए लाखों पेड़ काटे जाएंगे, जिससे पर्यावरण में खतरनाक परिवर्तन होंगे। हाथियों ही नही आदिवासियों तथा अन्य जानवरों का विस्थापन भी होगा, नदियां सूख जाएंगी, मौसम में गड़बड़ी होगी, ऑक्सीजन कम होगी, हरियाली का नाश हो जायेगा। इस प्रकार से सारा जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा। जल जंगल और जमीन खतरे में पड़ जाएंगे। इसलिए सभी वक्ताओं ने एकजुट होकर आंदोलन करने की बात की।

सभा में प्रदेश छत्तीसगढ़ किसान सभा के अनिल द्विवेदी, दर्शन सिंह, सालिगराम, एटक अंबिकापुर से किरण सिन्हा, मैनपाट से बसंत उपाध्याय, छत्तीसगढ़ किसान सभा से ऋषि गुप्ता, चंद्र प्रकाश शुक्ला, आदिवासी एकता महासभा से बाल सिंह, माधोराम, यूनाइटेड फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन से सईद अंसारी, श्रीवास्तव जी, इप्टा अंबिकापुर से अंजनी पांडे संदीप सिन्हा, प्रित सिंह अरोरा, शहीद भगत सिंह अकादमी से चरण प्रीत सिंह, प्र ले स से डॉ आशा शर्मा एवं अध्यक्ष श्रीमती सिंह, वेद प्रकाश अग्रवाल, एम आर यूनियन से कामरेड रघुनाथ रोकड़े, इड़ा नाटक संस्था से डा.आशा शर्मा, तथा अन्य संस्थाओं में होली क्रॉस, सेंट जेवियर स्कूल तथा होली क्रॉस, जनवादी नौजवान तथा महिला सभा से प्रतिनिधि उपस्थित थे। अंत में सभी ने मानव श्रृंखला बनाकर यह संदेश आम जन तक पहुंचा दिया की हम सभी एकजुट होकर पेड़ नही कटने देंगे तथा पर्यावरण की रक्षा करेंगे।
रिपोर्ट -प्रितपालसिंग अरोरा

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