जगदलपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बस्तर प्रवास के दौरान बहुत से कर्मचारी संघों के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से अपनी मांगों को लेकर मुलाकात की...
जगदलपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बस्तर प्रवास के दौरान बहुत से कर्मचारी संघों के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से अपनी मांगों को लेकर मुलाकात की। जिसमे वेतन वृद्धि से लेकर नियमितीकरण जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। मुलाकात करने वाले संघों में से एक संघ है, गौ सेवक संघ, जिसके प्रशिक्षित कर्मचारी पूरे छत्तीसगढ़ में फैले हुए हैं। सोचनीय विषय है कि छत्तीसगढ़ राज्य कि स्थापना के समय ही इस नवनिर्मित राज्य में इन कर्मचारियों की संख्या साठ हजार हुआ करती थी, वही वर्तमान में शासन की अनदेखी की वजह से सिमटकर मात्रा 1100 रह गई है।
क्या है मामला :
आज से बाइस वर्ष पूर्व पूरे छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले साक्षर लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया। इसमें उन्हें पालतू मवेशियों को टीकाकरण, जानवरों में होने वाला गलघोटू, एक टंगिया, एफएमडी (पैर में होने वाला घाव), बुखार, दस्त, चोट, इन्फेक्शन, ए आई (कृत्रिम गर्भाधान) और अन्य सभी प्रकार की बीमारियों के लिए इन्हें प्रशिक्षित किया गया था, इस कार्य में ये कर्मचारी दक्ष हैं, और लगातार लोगों के घरों में पहुंच कर अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहें है। लेकिन पिछले दो दशकों से पूरी ईमानदारी से काम करने के बाद भी न ही शासन ने इनकी कीमत समझी और न ही पशु चिकित्सा विभाग ने इनकी नियमितीकरण या मानदेय देने की पहल की।
इस संबंध में बात करने के लिए इन कर्मचारियों ने अपना संघ बनाकर संघर्ष शुरू किया। इन दो दशकों में आर्थिक तंगी और अनिश्चित भविष्य देखते हुए 50 हजार से अधिक दक्ष गौ सेवकों ने अपना कार्य बंद कर दिया। अब पूरे प्रदेश में मात्र 1100 ही गौ सेवक अपनी सेवाएं गावों में दे रहे हैं।
इन दक्ष गौसेवकों की नियुक्ति क्यों है जरूरी? :
एक ओर पशु चिकित्सा विभाग की खस्ताहाली से हम सभी भली भांति परिचित हैं। कहीं चिकित्सक नही, तो कहीं आवश्यक दवाएं नहीं। अगर शासकीय चिकित्सक मिल भी जाए तो वे मवेशियों को खुद आकर नहीं देख सकते। ऐसे बहुत से मामले आए दिन हमें गावों में सुनने को मिलते हैं। कुछ समय पहले ही पशु चिकित्सा विभाग का एक कर्मी लोगों से मोटी रकम वसूल करके मुफ्त वैक्सीन पशुओं को लगा रहा था। ग्रामीणों ने इलाके के सबसे बड़े जनप्रतिनिधि से भी बात की मगर थोड़ी सी समझाइश का हवाला देकर मामले को दबा दिया गया गया। वहीं चिकित्सा के अभाव में मामूली से इन्फेक्शन से किसी ग्रामीण के गाय या भैंस की मौत होना भी यहां आम बात है। अब प्रशासन को समझना होगा कि अगर शासकीय कर्मचारियों की इतनी ज्यादा कमी है, और वर्तमान कर्मी सिर्फ ऑफिस में बैठने के आदि हो चुके हैं, फील्ड में निकलना उनके लिए मजबूरी है। तो ऐसे में इस तरह के दक्ष गौ सेवक कर्मचारियों की बहाली अत्यंत आवश्यक विषय नहीं है? क्योंकि इन्हें फील्ड में कार्य का दो दशकों से अधिक का अनुभव है।
वहीं गौ सेवक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष श्री भेषज पांडे जी ने हमें जानकारी दी कि "इस संबंध में गौसेवक संघ की ओर से कई वर्षो से लगातार आंदोलन किया गया है। मगर आज तक किसी भी सरकार ने इनकी सुध नहीं ली। इससे इन कर्मचारियों के परिवारजन इन्हे कोई और कार्य करने के लिए कहते है। हम लगातार गांव गांव जाकर लोगों के पशुओं की सेवा करते हैं। जिले के कलेक्टर, पशु चिकित्सा विभाग में जेडी, अलग अलग समय में तत्कालीन मुख्यमंत्रियों समेत अन्य मंत्रियों से गुहार लगाने के बाद, अब हमें हमारे माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी, और प्रभारी मंत्री श्री कवासी लखमा जी से आशा है कि जिस तरह से सकारात्मक तरीके से वे हम गौ सेवकों की फरियाद सुनें हैं, वे हमें न्याय दिलाएंगे।" उन्होंने आगे कहा कि "हमारा संघर्ष जारी रहेगा, नियमितीकरण और निश्चित मानदेय के लिए, हम राज्य सरकार से निवेदन करते है की वे हमारी पीड़ा समझें और हमें न्याय दिलाएं।"
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