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छत्तीसगढ़ में हड़ताल का बस्तर में दिखा व्यापक असर, देखें रिपोर्ट

  जगदलपुर : आज छत्तीसगढ़ के कर्मचारी व अधिकारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। जिसकी तफ्तीश के लिए हमने बस्तर जिले के विभिन्न ब्लॉक मुख्य...

 जगदलपुर : आज छत्तीसगढ़ के कर्मचारी व अधिकारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। जिसकी तफ्तीश के लिए हमने बस्तर जिले के विभिन्न ब्लॉक मुख्यालय की जानकारी लेकर हड़तालियों से मुलाक़ात की। इनमे मुख्यतः लोहंडीगुड़ा ब्लॉक मुख्यालय के उसरीबेड़ा में तमाम विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों से हमने मुलाकात की, और उनकी मांगों और समस्याओं को समझा।

लोहंडीगुड़ा

 


क्या हैं मुख्य मांगें? :

कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक अध्यक्ष श्री पाटकर जी ने बताया कि "छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संघ द्वारा केंद्र की तरह समय से महंगाई भत्ता देने तथा सातवें वेतनमान के अनुसार गृह भाड़ा भत्ता देने के उद्देश्य से मुख्य रूप से यह हड़ताल की जा रही है। इसके समर्थन में सभी कर्मचारी अधिकारियों ने अपना समर्थन दिया। इसके लिए सभी विभागों में कर्मचारियों द्वारा छुट्टी के लिए आवेदन दिया गया है।"



हड़ताल के जारी रहने पर क्या होंगे नुकसान :

मुख्य रूप से चाहे ग्रामीण क्षेत्र हों या शहरी, सभी जरूरी कार्यों के लिए लोगों को सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के दफ्तरों में जाना पड़ता है। अगर यह हड़ताल ऐसा ही चलता रहा तो आम लोगों के बहुत से काम रुक जाएंगे, कोरोना काल में वैसे ही बंद की वजह से शालेय पढ़ाई में पिछड़ा ही है हमारा राज्य। इस हड़ताल से बच्चों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं कृषकों के लिए फसल बीमा और अन्य जरूरी कार्य भी हड़ताल की वजह से ठप्प रहने की संभावना है। बता दें केंद्र सरकार द्वारा विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के लिए फसल बीमा योजना की तिथि जुलाई अंत तक बढ़ाई गई थी। जनपद, जिला या राज्य स्तर के अधिकतर दफ्तरों में काम लगभग बंद ही था। ऐसे में शायद कल से इसका असर और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। अन्य संघ जो आज के हड़ताल में शामिल नहीं हुए थे, आने वाले दिनों में उनके भी हड़ताल में शामिल होने की गुंजाइश है। 

जगदलपुर में दिखा यह उत्साह

बास्तानार 


कौन कौन से संघों ने दिया समर्थन ;

कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, पटवारी संघ, लिपिक संघ, शिक्षक संघ, महिला एवं बालविकास संघ व अन्य।

तालाबंदी दिखा विफल ;

जैसा की अनुमान लगाया जा रहा था कि 25 जुलाई से शुरू होने वाले हड़ताल का व्यापक असर दिखाते हुए सभी सरकारी अमला हड़ताल में शामिल होगा। लेकिन वास्तविक रूप में जैसा व्यापक असर दिखने की उम्मीद हड़ताल पूर्व की जा रही थी, वैसा धरातल में देखने को नहीं मिला। एक ओर भिन्न विभागीय अधिकारियो और कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया वही उनके साथ के कुछ कर्मचारी अपने दफ्तरों में काम करते नजर आए। इनमे अधिकतर शालाओं के अध्यापक और संविदा में लगे कर्मचारी थे। 


ऐसे ही काफी सारे अधिकारी कर्मचारी न तो दफ्तरों में दिखे ना हड़ताल में। यह भी एक विडंबना है। कुछ कर्मचारी अपने दफ्तरों में जरूर पाए गए लेकिन अपने संघ से हड़ताल के लिए कोई निर्देश न मिलने के कारण उसके हिस्से नही बन पाए। ऐसे ही एक कर्मचारी ने बताया कि "हमारे संघ से हमे दफ्तरों में रह कर हड़ताल का नैतिक समर्थन करने का निर्देश दिया गया है। इस वजह से आज हम कार्य कर रहे हैं। जैसे ही हमे निर्देश मिलेगा हमारा संघ भी हड़ताल में शामिल होगा। हड़तालियों की मांग बिल्कुल जायज है, जिसका हम नैतिक रूप से समर्थन करते है। मुझे पूरी आशा है कि छत्तीसगढ़ सरकार सभी अधिकारी कर्मचारियों के साथ न्याय करेगी।"

तोकापाल 

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