जगदलपुर : लोहंडीगुड़ा के चित्रकोट जलप्रपात के निकट नारंगी नदी और इंद्रावती नदी के संगम में आज बाढ़ का जायजा लेने हमारी टीम पहुंची। पता चला...
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जगदलपुर : लोहंडीगुड़ा के चित्रकोट जलप्रपात के निकट नारंगी नदी और इंद्रावती नदी के संगम में आज बाढ़ का जायजा लेने हमारी टीम पहुंची। पता चला की यह स्थिति लगातार दो दिनों से है। इसकी वजह से आवागमन में लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ जगदलपुर लोहंडीगुड़ा मार्ग में भी बीच बीच में जलभराव की खबरे पिछले दो दिनों से आ ही रही थी। देउरगांव के निकट चित्रकोट मुख्य मार्ग बाढ़ की वजह से बंद था। वहीं लोहंडीगुड़ा में भी कई ग्राम पंचायतों में नदी का पानी आने की वजह से प्रशासनिक अमले को आनन फानन में डुबान क्षेत्र की बसाहट को निकलने के निर्देश देने पड़े। कुमली के ग्रामीणों को नाव के सहारे बचाव कार्य किया गया।
जिला प्रशासन द्वारा पहले ही लोहंडीगुड़ा में किसी भी अप्रिय स्थिति से निबटने के लिए निर्देशित किया गया था। वही 15 अगस्त की सुबह से ही घरों और खेतों में पानी आने की खबरें आनी शुरू हो गई थीं। जिसके लिए एसडीएम संजय विश्वकर्मा और तहसीलदार अर्जुन श्रीवास्तव के नेतृत्व में राजस्व विभाग व एसडीओपी पंकज ठाकुर के नेतृत्व में पुलिस विभाग ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते हुए, सभी 165 प्रभावित ग्रामीणों को सुरक्षित राहत शिविरों में पहुंचाया।
मिली जानकारी के अनुसार राजस्व विभाग और पुलिस विभाग ने मुस्तैदी दिखाते हुए, सुबह से लेकर देर रात तक प्रभावित गांवों में बचाव कार्य किया। राजस्व विभाग से नायब तहसीलदार योगिता पात्रों ने बताया कि "15 अगस्त की सुबह ध्वजारोहण करने के बाद से ही एसडीएम कार्यालय से सभी अधिकारी कर्मचारी बाढ़ में फंसे ग्रामीणों का रेस्क्यू करने के लिए प्रभावित इलाकों की ओर चले गए। वहां अलग अलग तीन नावों के द्वारा लगातार ग्रामीणों का रेस्क्यू किया गया। सुबह से लेकर देर शाम तक ग्रामीणों को समझाइश देते रहे, क्योंकि ग्रामीण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकलने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। लेकिन अंततः सभी प्रभावित ग्राम पंचायतों में से 165 ग्रामीणों को राहत शिविर में लाया गया। इसमें तत्परता से सड़कों को आम आवागमन के लिए रोकना सबसे महत्वपूर्ण था। क्योंकि चित्रकोट जलप्रपात में इन दिनों सैलानियों का आना बढ़ गया है, ऐसे में अगर गलती से भी कोई गाड़ी पानी में फंस जाती तो जान माल का नुकसान हो सकता था। इसलिए एसडीएम साहब द्वारा सबसे पहले प्रभावित सड़क बंद कराया गया।"
राहत शिविर में मौजूद ग्राम पंचायत उसरीबेड़ा की वार्ड नं 1 की पंच सोनी मौर्य ने बताया कि "मेरे मोहल्ले में भी अचानक रात दो बजे पानी भरना शुरू हुआ, जिसके बाद तुरंत सरपंच और सचिव भी आ गए और रात दो बजे के बाद हमने सभी को घर घर जाकर उन्हें यहां राहत शिविर में लाया।" उन्होंने आगे बताया कि "यहां हम सभी लोगों का एसडीएम सर और सभी लोग ध्यान रख रहे हैं। हमें किसी प्रकार की भी दिक्कत नही हो रही है।"
वहीं बाढ़ ग्रस्त लोहंडीगुड़ा मोड़ की सड़क भी बाढ़ की वजह से बंद थी। खेतों में लगभग 6 से 7 फीट तक पानी भर गया था। स्थानीय ग्रामीण खेतों में नाव चलाकर लोगों को एक ओर से दूसरी ओर तक लेकर जा रहे थे। वहां एक स्थानीय निवासी बुधराम मेश्राम ने बताया कि "ये संगम क्षेत्र होने की वजह से बड़ी का जलस्तर बढ़ने से हर वर्ष ऐसी स्थिति होती ही है। सांसद दीपक बैज की पहल से सड़क थोड़ा ऊंचा किया गया है, जिससे जलस्तर बढ़ने पर भी सड़क में जलभराव न हो, लेकिन मुझे लगता है कि इस सड़क को 4-5 फीट ऊंचा करें तो इस समस्या से निजात मिलेंगी" उन्होंने आगे बताया कि "आज से लगभग 30 साल पहले यहां बहुत बड़ा बाढ़ आया था, उसमे पानी बहुत ज्यादा आगे तक भर गया था।"
आज रात तक जल स्तर में थोड़ी कमी देखी गई है, अब उम्मीद की जा सकती है कि इस बाढ़ से जल्द ही स्थानीय निवासियों को निजात मिलेगी। लोहंडीगुड़ा से विमलेंदु शेखर झा की रिपोर्ट।
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