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मनाई गई महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की जयंती

जगदलपुर : हिन्दी के विख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी की जयंती के अवसर पर प्रगतिशील लेखक संघ जगदलपुर द्वारा लाला जगदलपुरी  केंद्रीय ज़िला...

जगदलपुर : हिन्दी के विख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी की जयंती के अवसर पर प्रगतिशील लेखक संघ जगदलपुर द्वारा लाला जगदलपुरी  केंद्रीय ज़िला ग्रंथालय परिसर में अवस्थित  युवोदय अकादमी कक्ष में परसाई जी के  व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित कर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता नगर के सुपरिचित व्यंग्यकार और रंगकर्मी सुभाष पाण्डे ने की तथा विशिष्ट वक्ता द्वय साहित्यानुरागी अवध किशोर शर्मा और हिमांशु शेखर झा थे। 





जगदीश चंद्र दास ने परसाई जी का जीवन परिचय दिया और उनकी रचनाओं के बारे में बताकर व्यंग्य रचना " राष्ट्र का नया बोध " का पाठ किया। मदन आचार्य ने कहा कि परसाई जी अपनी छोटी -छोटी व्यंग्य रचनाओं में आम जन के पक्ष की बड़ी गहरी और गंभीर बातें कह जाते हैं। देश और विश्व की हर घटना पर उनकी पैनी नज़र रहती थी। उन्होंने परसाई जी की रचना "ख़ुदा से लड़ाई " का पाठ किया। उर्मिला आचार्य ने परसाई जी को बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी कहा और उनके उपन्यास " रानी नागफनी की कहानी " की विस्तृत व्याख्या की। चमेली नेताम ने परसाई जी की रचना    " जैसे उनके दिन फिरे  " के बारे में विस्तार से अपनी  बात रखी। सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि परसाई जी की दूरदृष्टि और दैनंदिन घटनाओं के सूक्ष्म अवलोकन से उपजी रचनाएं महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। 



अवधकिशोर शर्मा ने परसाई जी  की रचनाओं में निहित यथार्थ की व्याख्या की और कहा कि वे अपनी रचनाओं में  अभिजात वर्ग के पाखंड की परतें उघाड़ते हैं। 

हिमांशु शेखर झा ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में कहा कि  सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों से उपजी अपनी सारी रचनाओं में परसाई जी अभिव्यक्ति के सारे ख़तरे उठाते हैं। 

सुभाष पाण्डे ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि व्यंग्य के लिए कथ्य का आधार समाज में हर जगह मौजूद है। परसाई जी की रचनाओं की व्यापक दृष्टि एक प्रतिबद्ध रचनाकार के रूप में उन्हें स्थापित करती है। सुभाष पाण्डे ने परसाई जी से जबलपुर में आत्मीय भेंट के क्षणों पर संस्मरण सुनाया। 

इस महत्वपूर्ण आयोजन में मोहम्मद शोएब अंसारी, प्रकाश चंद्र जोशी, अनिता राज, गायत्री आचार्य, विक्रम कुमार सोनी और नरेन्द्र पाढ़ी भी शामिल हुए। 

संचालन और आभार प्रदर्शन जगदीश चंद्र दास ने किया। 

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