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हरिशंकर परसाई पर केंद्रित संगोष्ठी कल,

जगदलपुर : प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर ने हिन्दी के विख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी की जयंती २२अगस्त, सोमवार को है। कार्य दिवस की कठिनाई...

जगदलपुर : प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर ने हिन्दी के विख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी की जयंती २२अगस्त, सोमवार को है। कार्य दिवस की कठिनाई और असुविधाओं का ध्यान रखते हुए प्रगतिशील लेखक संघ जगदलपुर द्वारा रविवार दिनाँक २१ अगस्त २०२२ को अपरान्ह चार बजे से लाला जगदलपुरी केंद्रीय ज़िला ग्रंथालय, जगदलपुर के युवोदय कक्ष में परसाई जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित कर विचार गोष्ठी रखी गई है। प्रगतिशील लेखक संघ ने सभी साहित्यप्रेमी जनों की उपस्थिति और सक्रिय भागीदारी हेतु निवेदन किया है। 
परिचय :
हरिशंकर परसाई (२२ अगस्त, १९२४ - १० अगस्त, १९९५) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार थे। उनका जन्म जमानी, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के–फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने–सामने खड़ा करती है, जिनसे किसी भी और राजनैतिक व्यवस्था में पिसते मध्यमवर्गीय मन की सच्चाइयों को उन्होंने बहुत ही निकटता से पकड़ा है। सामाजिक पाखंड और रूढ़िवादी जीवन–मूल्यों के अलावा जीवन पर्यन्त विस्ल्लीयो पर भी अपनी अलग कोटिवार पहचान है। उड़ाते हुए उन्होंने सदैव विवेक और विज्ञान–सम्मत दृष्टि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा–शैली में खास किस्म का अपनापन महसूस होता है कि लेखक उसके सामने ही बैठे हें। ठिठुरता हुआ गणतंत्र की रचना हरिशंकर परसाई ने किया जो एक व्यंग है|

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