जगदलपुर : आज अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस (International Day for the Preservation of the Ozone layer ) पर जागरूकता के लिए एक संगोष्ठ...
जगदलपुर : आज अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस (International Day for the Preservation of the Ozone layer ) पर जागरूकता के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे विज्ञान और ईको क्लब का उद्घाटन भी किया गया। ओजोन परत संरक्षण जागरूकता के लिए क्राईस्ट कॉलेज में विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का नाम (एको- लुशन ) है, जिसमें विशेष व्याख्यान और परिचर्चा की गई। इस आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ सजीवन कुमार, श्री किशोर पारेख, श्री संपत झा उपस्थित थे। क्राइस्ट कॉलेज प्रबंधन की ओर से फादर थॉमस वीवी (प्रबंधक), फादर थॉमस पीजे (प्राचार्य), डॉ फादर शैजू (उप प्राचार्य) उपस्थित थे। कार्यक्रम प्रबंधन का कार्य प्रमुख रूप से अप्रतिम झा ने किया।
आज प्रातः 9.30 से 10.30 तक यह आयोजन किया गया जिसमे महाविद्यालय प्रबंधन के साथ बड़ी संख्या में विद्यार्थी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के बाद समाजसेवी संपत झा द्वारा महाविद्यालय को दिए 100 आम के पौधे का रोपण किया गया।
कार्यक्रम में प्रथम वक्ता डॉ सजीवन कुमार ने अपने संभाषण की शुरुआत ने आए अतिथियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया। इन्होंने अपने वक्तव्य में जैव विविधता के विषय में श्रोताओं को जानकारी दी, जिसमे उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों और उसके संतुलन के बारे में बताया। कृषि से अधिक आय वनों से होने के बावजूद लोग वनों की कटाई रोकने के लिए अब तक जागरूक नहीं होने के विषय में बताया। इन्होंने अपने संभाषण में अलग अलग विषयों से होते हुए, जलवायु परिवर्तन और ओजोन परत की क्षति के बारे में बताया। उन्होंने बताया राष्ट्रीय पार्क और अभ्यारण्य केवल मनोरंजन के लिए नहीं है, बल्कि यह स्थान जागरूकता और संरक्षण के लिए बनाया गया है। उन्होंने भारत सरकार के ग्रीन मिशन इंडिया ने जुड़ने और उसे आम लोगों तक पहुंचाने के लिए श्रोताओं से निवेदन किया।
इसके बाद महाविद्यालय के दो छात्रों, एबल व रॉनी ने पर्यावरण संरक्षण पर अपने गीत की प्रस्तुति दी। जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया।
वक्ता के रूप में किशोर पारेख ने श्रोताओं को जल, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के बारे में बताया। उन्होंने बताया की 2030 तक भारत देश में पानी की मांग दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने बताया की कुल साफ पानी का 85 पानी कृषि में, 5 प्रतिशत उद्योगों और अन्य स्थानों में लगता है। वहीं 10 प्रतिशत आम लोगों द्वारा उपयोग करते है। इतने पानी के बाद भी यहां बड़ी संख्या में आबादी कृषक केवल मानसून पर निर्भर है। तालाब कुएं नहर और नदी को बचाना बहुत आवश्यक है। पहले जगदलपुर में 10 से 15 तालाब हुआ करते थे। अब 2 या तीन ही बचे हैं। कुएं बहुत से थे, वे भी धीरे धीरे खत्म होते जा रहे हैं। धरती के नीचे से खनन करके जो जलस्तर को भयानक क्षति हो रही है, उसके बारे में लोगों को बताया। कई देशों में पानी महंगा है और पेट्रोल सस्ता है। उन्होंने जल प्रदूषण नियंत्रण और इंद्रावती बचाव अभियान के बारे में बताया। इंद्रावती नदी में 290 टीएमसी पानी बस्तर से होकर गुजरता है, जिसमे से यहां हम केवल 10 टीएमसी पानी का उपयोग ही कर पाते है। जिसमे 280 टीएमसी पानी ऐसे ही बहकर गुजर जाती है। छत्तीसगढ़ की सरकारों ने नदी के जल प्रबंधन के विषय में अब तक कुछ खास काम नही किए हैं, जिसके लिए सरकार और प्रशासनिक विभागों को जागरूक होना होगा।
इनके बाद वक्ता के रूप में संपत झा ने अपने संभाषण में पर्यावरण और बस्तर के प्रदूषण और विकास के नाम पर जो पेड़ काटकर निर्माण किए जा रहे उसके विषय में कहा। उन्होंने बताया कि तीन वर्ष पहले चित्रकोट जलप्रपात सुख गया था, जिसके लिए हमने इंद्रावती बचाव अभियान के तहत वृक्षारोपण और पदयात्रा किया, जिसमे बस्तर के बहुत से लोग जुड़े और हमारा सहयोग किया।
उन्होंने अंत में कहा कि हर कोई जब व्यक्तिगत रूप से जागरूक होकर पर्यावरण के लिए कार्य करेगा तो बहुत अच्छे वातावरण में हमारा भविष्य होगा, नई पीढ़ियों को बीमारियां नही होंगी। आज कोविड से ज्यादा महामारी का रूप डेंगू ने ले लिए है, इसमें यहां के लोगों का ही दोष है।" उन्होंने श्रोताओं को इंद्रावती अभियान के साथ जुड़ने के लिए कहा।
अंत में किए जाने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रम के पश्चात बहुत से विद्यार्थियों को आम के पौधे वितरित किए गए ताकि वे अपने घर और आसपास के इलाकों में उसका रोपण कर सकें।
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