जगदलपुर (वेदांत झा) : बस्तर में एक समूह लगातार अलग अलग किस्मों के सांपों के संरक्षण के उद्देश्य से इलाके में लगातार सांपों के बचाव अभियान च...
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जगदलपुर (वेदांत झा) : बस्तर में एक समूह लगातार अलग अलग किस्मों के सांपों के संरक्षण के उद्देश्य से इलाके में लगातार सांपों के बचाव अभियान चलाकर कार्यरत है। इसकी वजह से इनका यह समूह पूरे बस्तर में बहुत लोकप्रिय होता जा रहा है। आज हमने इस समूह के संस्थापक सदस्यों से चर्चा की और इनके इस सफर के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की।• अब्दुल हमिद खान 5 वी बटालियन में सेक्शन कमांडर के पद पर कार्यरत हैं, और लगातार सांपों के संवर्धन और संरक्षण पर कार्य कर रह है।
• सूरज कुमार हरपीटोलॉजिस्ट हैं, वर्तमान में इंद्रावती टाइगर रिजर्व में रिसर्चर के रूप में कार्यरत हैं। वन्य प्राणियों को बचाने के लिए इनके पास बहुत से नए विचार हैं।
• आपको सांपों को बचाने की प्रेरणा कैसे मिली? इस सवाल के जवाब में सेक्शन कमांडर अब्दुल हमीद ने बताया कि "आज से लगभग 25 वर्ष पहले मैं एक शादी में शामिल होने गया था, जहां अचानक हल्ला हुआ "सांप निकला है... सांप निकला है..." जब मैंने देखा तो वह लगभग 6 फीट का नाग (कोबरा) था और थोड़ी देर के बाद ही गांव वालों ने मिलकर उस सांप को मार दिया। उस मरे हुए सांप को देखकर मुझे बड़ी ग्लानि हुई, उसी पल से मेरे मन में बस एक ही बात आई की अब इन सांपों को हम कैसे बचाएं? लोगों को किस तरह जागरूक करें की इन्हे नहीं मारना चाहिए। तब से मैने अपना कार्य शुरू किया, लोगों को बताया कि हमे इन्हे बचाना है। इसके बाद धीरे धीरे लोग मुझसे जुड़ने लगे और लोगों के फोन आने शुरू हुए। मैं एक बात और जोड़ना चाहूंगा कि जबसे हमारे छत्तीसगढ़ में डायल 112 की गाडियां आईं हैं, तब से जब कभी सांप से संबंधित कोई मामला होता था तो 112 वाले मुझे बताने लगे। मैने उनके साथ जाकर सांपों को लोगों के घरों और मोहल्लों से पकड़ना शुरू किया। लगातार तब से मैं इस काम में लगा हुआ हूं।
अभी कुछ समय पूर्व ही मेरा परिचय मेरे जैसे और भी लोगों से हुआ। हमने एक बैठक करके अपना एक समूह निर्मित किया और अब धीरे धीरे यह समूह और बढ़ता जा रहा है। यह समूह बनाने का मुख्य उद्देश्य था की जब भी किसी व्यक्ति का कॉल आता है, जिसके घर में या आसपास में कोई सांप निकला है तो हम उस इलाके के आसपास जो भी हमारे स्नेक कैचर हो उनसे संपर्क करा कर उन्हें तुरंत वहां रवाना कर दें। बता दूं अब लोगों का फोन आते ही हमारे वॉलिंटियर्स 15 से 30 मिनट के अंदर उस जगह पर पहुंच जाते हैं इस प्रकार सांप बचाने का मुहिम सफल होता दिखाई दे रहा है।" कमांडर हमीद ने बताया कि "शुरुआती दिनों में साधन की कमी के चलते, काफी कम सामानों के साथ भी सांपों को पकड़ने का मुहिम चलाना पड़ा। उसी समय मैंने एक नया तरीका ढूंढा। जिसमे मुझे पता था की किसी भी स्थान पर किसी की दुकानें तो होती ही हैं। आम तौर पर जो टॉफी का डब्बा होता है वो बड़ा भी होता है और आसानी से सभी जगहों में मिल जाता है। मैने वैसे डब्बों में ही सांप पकड़ने का निश्चय किया। उन डिब्बों को उल्टा करके उसमे छोटे छोटे छेद बनाता था ताकि अंदर हवा जा सके। उसके अंदर बहुत सावधानी से सांप डालता था और उसे रिहायशी इलाकों से दूर लेजाकर छोड़ देता था। तो मैं बताना चाहता हूं कि यह तकनीक मेरे द्वारा ही निर्मित है।" सूरज कुमार ने आगे जानकारी दी कि "हमीद सर का जो तरीका है वह बहुत ही नया तरीका है, और जो नए सीखे हुए स्नेक कैचर है उन्हें मैं यही सलाह दूंगा कि वे इस तरीके का उपयोग करें ताकि सांप और इंसान दोनो को कोई तकलीफ न हो। मगर फिर भी मैं यह कहना चाहूंगा कि तरीके सबके अपने अपने होते है लेकिन जो माहिर हैं वही इन तरीकों का उपयोग करें अन्यथा आम लोग इससे अपनी जिंदगी खतरे में बिलकुल न डालें।"
दुर्घटनाओं के विषय में पूछे जाने पर अब्दुल हमीद ने कहा कि "दुर्घटना हुई है मेरे साथ। एक बार एक नाग ने हो मुझे काट लिया था, उसके दांत भी गड़े थे, मगर मुझे लग रहा है कि शायद जहर उसने नही छोड़ा था। उस समय तुरंत मुझे महारानी अस्पताल में भर्ती कराया गया, और लगभग 24 घंटे के लिए चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया था। जब मुझे जहर के कोई लक्षण नहीं आया तो मुझे छोड़ दिया गया। मेरे हाथ में ही सांप ने काटा था। जब शुरुआत में मैं सांप पकड़ना सिख रहा था उस समय की यह घटना है।" उन्होंने आगे बताया कि "जब हड्डी में दांत लगता है तब आपकी सिर्फ त्वचा ही उसके संपर्क में आएगी। उसकी वजह से जहर प्रवेश नहीं कर पाता। अगर कभी आपको कोई सांप काट ले तो सबसे पहले अपने करीबी शासकीय अस्पताल आइए और वहां एंटी वैनम इंजेक्शन लगवाइए। यह सरकार की ओर से मुफ्त में लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण इलाको में जो झाड़ फूंक, गुनिया और दवाईयां जैसी चीजों से दूर रहें। ये बिलकुल काम नही करेगा।"
जब हमने हमीद जी से पारिवारिक सदस्यों के विरोध किए जाने की चर्चा की तो उन्होंने कहा कि "परिवार के लोग अभी भी विरोध करते है, वे डरते हैं की कहीं कोई सांप काट देगा या कुछ हो जाएगा। लेकिन अब वे भी समझ रहे है कि मैं जिस काम को कर रहा हूं उससे मैं समाज की सेवा कर रहा हूं। इसमें मेरा कोई व्यक्तिगत अपेक्षा नहीं है किसी से भी। अभी तक तो मेरे साथ कोई दुर्घटना नही हुई है लेकिन मैं भविष्य में भी ध्यान रखूंगा कि मेरे साथ कोई दुर्घटना न हो।"
सूरज कुमार ने बताया कि "एक बार मेरे। समूह के एक मित्र के साथ एक दुर्घटना हुई थी जब उनकी पकड़ से सांप थोड़ा ढीला हो गया था और जैसे ही ऐसा हुआ उनके हाथ में सांप ने काट लिया था। मैं बताना चाहूगा की जहर भी तीन तरह के होते हैं। और सांपों के भी तीन प्रकार होते हैं। न्यूरो टॉक्सिक, हिमियोटोसिक और साइक्रोटॉक्सिक होता है, जिसमे साइक्रोटॉक्सिक वो जहर होता है जिसमे इंसान को कोई हानि नहीं होता है। न्यूरोटॉक्सिक जहर से इंसान का नर्वस सिस्टम में असर होता है, वही हिमियोटोसिक से आपके हीमोग्लोबिन के थक्के बनते है और इन थक्कों में खून रुकना शुरू हो जाता है।" परिवार से संबंधित प्रश्न पर सूरज ने मजाकिया लहजे में बताया कि "आज भी मैं परिवार में किसी को नही बताता कि मैं सांप पकड़ने जा रहा हूं। अगर घर में पता लगे की मैं सांप बचाने जा रहा हु तो वे मना ही करेंगे। लेकिन मैं हमेशा उस परिवार और उन लोगों के बारे में सोचता हूं जिनके आस पास उस वक्त सांप निकला होता है उनकी मनोदशा किस तरीके की होगी यही मेरे दिमाग में चलता रहता है।" कमांडर अब्दुल ने कहा कि " मेरे साथ एक बार एक ऐसा हुआ, जब मैं कहीं बाहर गया हुआ था और यहां और कोई सांप बचाने वाला नहीं था उस समय मुझे पता चला कि एक घर के अंदर में एक नाग सांप निकला हुआ है। मैं दुविधा में था की मैं क्या करूं। मैनें अगले दिन तक आने की बात की थी। अगले दिन सुबह लगभग साढ़े छह बजे जब मैं पहुंचा तो 25- 30 लोग वहां मेरा इंतजार कर रहे थे।" थोड़े भावुक होते हुए अब्दुल हमीद ने कहा कि "मैंने रेस्क्यू करते हुए जब घर के भीतर से इस नाग सांप को निकाला तो मुझे आस पास के लोगों ने बताया कि घर वाले रात भर घर के बाहर खड़े थे। परंतु सुबह जैसे ही मैं उस मोहल्ले में पहुंचा तब लोगों के चेहरे में खुशी मे देखा वही मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा और सुकून कुछ नही मिल सकता है। आज भी उन चेहरों की खुशी मुझे याद है।" उन्होंने आगे बताया कि "वर्तमान में अगर औसत की बात की जाए तो प्रतिदिन हमे 3-4 केस मिलते ही हैं। हमारे ग्रुप का निर्माण जुलाई 2022 में किया गया। तब से ही लगातार हम एक साथ काम कर रहे हैं।"
वन विद्यालय जगदलपुर में जागरूकता पर सेमिनार संबोधित करते सूरज |
किन किन तरीकों से आप सांप पकड़ते हैं? इस सवाल पर सूरज कुमार ने बताया कि "अभी एक रेस्क्यू के दौरान हमे एक नए प्रजाति का सांप दिखाई दिया, जिसे स्काउट सैंड स्नेक कहा जाता है। हमें विशेषज्ञों ने बताया कि बस्तर में इस प्रजाति के सांप का यह पहली रिपोर्टिंग है। उस इलाके में हम उस सांप पर और खोज करेंगे" उन्होंने आगे बताया कि "असल में यह सैंड रेसर होता है, जैसा की नाम से पता चल रहा है, की यह तेज भागने में सक्षम होता है। बस्तर एक वनक्षादित इलाका है, इस वजह से सांपों के रहने के लिए ये एक उपयुक्त जगह है, इसलिए ऐसे दुर्लभ सांप यहां आने शुरू हुए हैं।"
अब्दुल हमीद ने कहा कि "हमारा बस एक ही उद्देश्य है की जनता जागरूक हो जाए कि इन्हें मारना नहीं है। और अगर कहीं भी सांप दिखाई दे तो हमारे हेल्पलाइन नंबर ...... में कॉल करें। हमारी यही कोशिश होती है कि हमारे लोग जल्द से जल्द सांप तक पहुंच जाएं और उसे वहां से बचा कर निकाल लें" अंत में सूरज कुमार ने बताया कि "अगर लोग चाहते हैं कि उनके आस पास सांप न आए तो सबसे पहले वे अपने इलाकों में सफाई बना कर रखें। इससे घर में चूहे नहीं आयेंगे। और सांप अपने खाने की तलाश में घर में आता है। घर में यदि चूहे होंगे तो सांप आएगा ही। इसलिए मैं कहना चाहूंगा की साफ सफाई का विशेष ध्यान दें तो सांप खुद ही आपके घर में नही आयेगा क्योंकि उन्हें भी इंसानों से उतना ही डर है जितना इंसानों को उनसे!"
वर्तमान में बस्तर जिले में कार्यरत स्नैक कैचर :
1. अनंत भोयर (जगदलपुर, बकावंड, दरभा)
2. सूरज नायर (जगदलपुर)
3. बेलचंद (कोसागुमंडा, ओड़िशा, जगदलपुर)
4. अजीत मरकाम (बस्तर)
5. हमीद खान (जगदलपुर)
6 . हेमलाल मांझी (दरभा)
7. भगत (दरभा, जगदलपुर)
इनके अतिरिक्त भी नए लोग इनके साथ सांप पकड़ना सिख रहें हैं। ऐसे में कुल 35 लोगों का समूह पूरे बस्तर में कार्य कर रहा है।
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