• छत्तीसगढ़ शासकीय कर्मचारियों की हड़ताल खत्म, • कर्मचारी फेडरेशन कोर कमेटी की बैठक में लिया गया निर्णय, • कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे स...
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• छत्तीसगढ़ शासकीय कर्मचारियों की हड़ताल खत्म,
• कर्मचारी फेडरेशन कोर कमेटी की बैठक में लिया गया निर्णय,
• कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे से मुलाकात के बाद हड़ताल स्थगित,
• कर्मचारियों की कई मांगों पर बनी सहमति, दिवाली के पहले महंगाई भत्ता बढ़ाया जाएगा। HRA के लिए कमिटी की जाएगी गठित
रायपुर (वेदांत झा) : कल तक जहां शंकर नगर में राजपत्रित कर्मचारी संघ के दफ्तर में आयोजित राज्य स्तरीय बैठक में पहुंचे प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत विफल रही। कल दोपहर और शाम तक की स्थिति और खबरों से जहां जानकारी आई थी कि हड़ताली आज से काम में लौटेंगे, वही रात तक हड़ताल जारी रहने की स्थिति साफ हो गई। बता दें कि प्रदेश इकाई ने सरकार की बात मान ली थी। हड़ताल वापिस लेने पर भी सहमति बन चुकी थी और कर्मचारी अपने कार्यालय में लौटने को तैयार थे। लेकिन इसी बीच खबर आई कि बस्तर और सरगुजा के फेडरेशन के पदाधिकारियों ने जोरशोर से इस फैसले का विरोध किया। उनका कहना था, अगर हड़ताल खत्म हुई तो सरकार कर्मचारी संगठनों की एकता को तोड़ देगी। उसके बाद ऐसा आंदोलन फिर खड़ा नहीं हो पाएगा। उन्होंने कर्मचारी नेताओं से हड़ताल पर अड़े रहने की बात कही। उसके बाद सभी जिलों के पदाधिकारी इनके साथ आ गए। मगर अभी की ताजा स्थिति में खबर आ रही है कि छत्तीसगढ़ में हड़ताल खत्म करने का फैसला फेडरेशन द्वारा लिया गया है। फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा से मिली जानकारी के अनुसार "फेडरेशन ने सीएस को जो सुझाव दिया था। सरकार ने सभी सुझाव को स्वीकार कर लिया है। उक्त समझौता रविन्द्र चौबे, मंत्री छ. ग. शासन के बंगले में हुई।उनके द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी से सहमति लेकर फेडरेशन के प्रतिनिधियों को अवगत कराया गया।" उन्होंने प्रांतीय अधिकारी कर्मचारियों को सूचना दिया कि "आज से आंदोलन को स्थगित किया जाता है। सभी साथीगण अपने कार्यालय तत्काल में उपस्थिति देवें।"
सरकार ने दी थी चेतावनी :
इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान जारी कर कहा था कि राज्य भर में हड़ताल में बैठे कर्मचारी अधिकारी 2 सितंबर से पूर्व अपने अपने दफ्तरों में पहुंच जाएं, नहीं पहुंचने पर उनका सर्विस ब्रेक और वेतन कटौती का अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाएगा। कहा जा रहा था कि मुख्यमंत्री बघेल के इस चेतावनी के बाद हड़ताल खत्म किया जा सकता है। लेकिन उसके बाद भी कर्मचारी अधिकारी हड़ताल वापिस लेने को तैयार नहीं हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को कर्मचारियों के लिए एक अपील जारी की थी। उसमें कहा गया था, लोगों की आवश्यकता से जुड़े काम रुक जाने से जनता को असुविधा हो रही है। अत: आप सभी कर्त्तव्यों का निर्वहन करें। मुख्यमंत्री ने लिखा कि हमारी सरकार कर्मचारी हित के लिए सदैव तत्पर है। पुरानी पेंशन योजना उसका एक उदाहरण है। राज्य के वित्तीय संसाधनों को देखते हुए हम कर्मचारी हित में निर्णय लेते रहे हैं, आगे भी लेते रहेंगे। बाद में प्रेस से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को हड़ताल खत्म करने को लेकर चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा था, काम पर लौटो मुझसे बाद मिल लो, इसमें मुझे कोई तकलीफ थोड़े ही है। पहले काम पर लौटें तो सही। हड़ताल खत्म नहीं हाेने की स्थिति में कार्रवाई के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, जो लौट आएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। जो आदेश है वह तो है। एक-दो तारीख तक ज्वाइन कर लेते हैं तो कोई कार्रवाई नहीं होगी। इससे कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ सरकार को अपनी मांगों को मनवाने के लिए हड़ताली किसी भी चेतावनी से नही डरेंगे।
फेडरेशन का आरोप, सरकार एस्मा कानून से कर रही है डराने की कोशिश :
जगदलपुर के कृषि उपज मंडी के धरना स्थल में कर्मचारी अधिकारी फेडरैशन और साथ के अन्य संघों के संबंधित कर्मचारी बड़ी संख्या में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल में थे। बता दें आज कर्मचारी और अधिकारियों का यह लगातार 12 वा दिन है। फेडरेशन की ओर से अजय श्रीवास्तव, राकेश तिवारी तथा न्यायालय कर्मी के रूप में कौशिक पाणिग्रही ने जानकारी दी कि "राज्य सरकार कर्मचारियों को एस्मा लगाने की धमकी देकर डराना चाहती है। जबकि एस्मा कानून तब लगता है जब नागरिकों को अति आवश्यक वस्तु तथा सेवाओं को बाधित किया जाता है। जबकि इस हड़ताल से लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं में कोई खतरा नहीं हुआ है। तो एस्मा से डरना निरर्थक है।"
कार्यालयों की स्थिति, पर क्या कहा अधिकारियों ने :
लोहंडीगुड़ा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी चंद्र शेखर यादव ने कहा कि ”लगातार हड़ताल से शालाओं में पढ़ाई के स्तर में असर पड़ा है। लोहंडीगुड़ा में हमारे कार्यालय में भी संविदा के अतिरिक्त कोई कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। एक ओर जहां सभी कर्मचारी अधिकारी हड़ताल में हैं ऐसे में सरकारी कार्यालय और शालाओं में केवल संविदा कर्मी और शिक्षक ही काम पर है। जिससे हमारे नवनिहालों की पढ़ाई बुरी तरह से बाधित हो रही है।"
जिला न्यायालय जगदलपुर में वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन मिश्र ने छत्तीसगढ़ सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि "क्या छत्तीसगढ़ सरकार इतनी ज्यादा कंगाल हो गई है कि वे अपने कर्मचारियों को अन्य राज्यों की तरह महंगाई भत्ता देने में भी असमर्थ है? इससे यही साबित होता है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार का राज्य में अर्थ प्रबंधन बहुत खराब है। क्योंकि दूसरे राज्यों में सरकारें अपने कर्मियों को जायज प्रतिशत में भत्ता दे रही है। हम न्यायालय कर्मी हड़ताल की वजह से न्यायालय में कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से न्यायालय के कार्यों में आम लोगों को बड़ी परेशानियां आ रही हैं।"
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