जगदलपुर (वेदान्त झा) : जिला बस्तर राज्य शिक्षक सम्मान के लिए आज माधुरी कुशवाहा और पूर्णिमा सरोज रायपुर स्थित राजभवन में पुरस्कृत किए जायें...
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जगदलपुर (वेदान्त झा) : जिला बस्तर राज्य शिक्षक सम्मान के लिए आज माधुरी कुशवाहा और पूर्णिमा सरोज रायपुर स्थित राजभवन में पुरस्कृत किए जायेंगे। माधुरी कुशवाहा जगदलपुर के उ मा वि कन्या क्रमांक 2 की रसायन की व्याख्याता हैं। शिक्षा में नवाचार एवं कठिन विषयों को सरलता प्रदान करने के लिए इन्हें यह पुरस्कार दिया जा रहा है। इन्होंने विशेष रूप से शिक्षा एवं पोषण आहार पर कई प्रोजेक्ट बनाए हैं। इसके अतिरिक्त विद्यार्थीयों के माध्यम से समाज में जागरूकता अभियान की अग्रणी रही हैं इन योगदानों के लिए इन्हें आज पुरस्कृत किया जाएगा।
इन वर्षों में इनके द्वारा बच्चों के साथ मिलकर लगातार साइंस सेमिनार, प्रोजेक्ट और ग्रामीण बच्चों के लिए बहुत कुछ किया गया। जिसका प्रशासन ने सतत मूल्यांकन करके आज पुरस्कार दिया। इन्होंने जगदलपुर स्थित एमएलबी स्कूल, केशकाल के विश्रामपुरी और अलग अलग जगहों में अपनी सेवाएं दे चुकीं हैं। इसके द्वारा पढ़ाएं हुए बच्चे आज राज्य स्तर व राष्ट्रीय स्तर पर चयनित होकर कार्य कर रहें हैं।
माधुरी कुशवाहा ने छत्तीसगढ़ राजभवन जाने से पहले हमसे हुई चर्चा में कहा कि "सबसे पहले तो शिक्षक दिवस की सारे शिक्षकों को बधाई। एक शिक्षक ही एक समाज कनिर्माण करता है। हमेशा से समाज के भविष्य का निर्माण करने में शिक्षकों ने ही सबसे बड़ी भूमिका निभाई है।" उन्होंने आज मिल रहे पुरस्कार के संबंध में बताया कि "आज जो हमे पुरस्कार मिल रहा है वह इतने वर्षों में जो हमारे द्वारा बच्चों को एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए जो शिक्षाएं दीं गई है, हमारे द्वारा लगातार जो कार्य किया गया है उसके लिए दिया जा रहा है। समाज में शिक्षा का अलख जगाने के लिए जो भी कार्य किए गए है, उसके लिए शिक्षकों को मिलने वाला बहुत महत्वपूर्ण इनाम है। मैं तो आपके माध्यम से यही कहना चाहूंगी कि यह एक दिन का परिणाम नहीं है। इसके लिए वर्षों की साधना का प्रतिफल आज मिल रहा है।"
वही दूसरी शिक्षिका पूर्णिमा सरोज वर्तमान में बस्तर जिला प्रशासन द्वारा बादल अकादमी व लोक साहित्य प्रभाग में सहायक प्रभारी के पद पर काम कर रही हैं। इन्होंने अलग अलग शासकीय शालाओं में रसायन व्याख्याता के रूप में सेवाएं दिन हैं।
इन्हें शिक्षा में नवाचार एवं लोक सांस्कृतिक जीवन मूल्यों के विकास में शिक्षा के योगदान से सम्बन्धित गतिविधियों द्वारा विद्यार्थियों के शैक्षिक एवं नैतिक मूल्यों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इन्होंने विज्ञान, लोक साहित्य, बालिका शिक्षा एवं लोकसंस्कृति के विकास में विशेष योगदान दिया है। इसके अलावा शिक्षा को रुचिकर बनाने में लगातार नए प्रयोग किए हैं, जिसके लिए आज इन्हें पुरस्कृत किया जा रहा है।
इन्होंने हमसे बात कर जानकारी दी कि "बचपन से ही मेरे शिक्षकों ने मुझे जो ज्ञान और शिक्षा दी, उसी ने ही मुझे साहित्य, विज्ञान और लोक संस्कृति में अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित किया है। मैं अपने माता पिता का भी तहेदिल से धन्यवाद कहना चाहती हूं जिन्होंने मुझे हमेशा प्रेरित किया है।" अपने शिक्षक जीवन की शुरुवात के बारे में बताते हुए, उन्होंने कहा कि "जब मैने अपने कार्य को शुरू किया था तब मुझे समझ में आया की ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों से समाजस्य बिठाना भी बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसके लिए सिर्फ हिंदी में बात करने पर काम नही चलेगा। इसलिए मैंने हल्बी, भतरी जैसे स्थानीय बोलियों में बच्चो से बात करना शुरू किया। उनके साथ सामंजस्य बिठाया। बच्चों में साहित्यिक रुचि विकसित करने के साथ साथ यहां की लोक कलाओं से भी अवगत कराने की मेरी हमेशा कोशिश रही।"
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