• सौंपा कलेक्टर चंदन कुमार को ज्ञापन • समस्या निवारण किए जाने का दिया गया आश्वासन • कई गाँवों में गाली गलौज और मार पीट की स्थिति, संचालक ...
• सौंपा कलेक्टर चंदन कुमार को ज्ञापन
• समस्या निवारण किए जाने का दिया गया आश्वासन
• कई गाँवों में गाली गलौज और मार पीट की स्थिति, संचालक परेशान।
जगदलपुर (वेदांत झा) : आज जगदलपुर में कलेक्टर चंदन कुमार से मिलकर ज्ञापन देने के लिए पूरे बस्तर जिले के अलग अलग ग्रामों से राशन हितग्राही कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। बता दें इन दिनों राशन वितरण में सर्वर डाउन और अंदरूनी क्षेत्रों में नेटवर्क की दिक्कतों को लेकर राशन दुकान संचालकों और ग्रामीण हितग्राहियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई गावों में नेटवर्क की दिक्कत की वजह से राशन वितरण में विलंब हो जाता है, वहीं समय समय पर एंट्री मशीन में सर्वर डाउन होने से भी वितरण में परेशानी आ रही है। एक राशन संचालक ने जानकारी दी कि कई गावों में सर्वर की दिक्कत की वजह से बात हाथा पाई तक पहुंच गई है। सर्वर डाउन रहने की स्थिति में ग्रामीण ये समझ कर की राशन संचालक जान बुझ कर राशन देने में देर कर रहा है, उनके साथ हाथा पाई और गाली गलौच किया जाता है। आज इन सब समस्या को लेकर बस्तर जिले के ग्रामीण, सैकड़ों की संख्या में कलेक्टर को ज्ञापन देने आए थे।
एक हितग्राही ने बताया कि "पहले हमारे गांव में राशन दुकान संचालक एक दिन में लगभग 40 से 50 कार्डधारियों को राशन वितरण कर देते थे। वहीं अब पूरे पूरे दिन राशन दुकान में भिड़ खड़ी रहती है तब भी केवल 5 या 10 कार्ड का राशन मिल पाता है। इससे कई कार्डधारी गुस्से में आकर राशन संचालक को गाली गलौज करके उनका अपमान करते हैं। हम बस यही चाहते हैं की राशन वितरण में या तो सरकार सर्वर को सुधार करके इसकी गति बढ़ा दे या तो पुरानी पद्धति से वितरण लागू कर दे।"
वहीं कल शाम लगभग 6 बजे के बाद हम लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के ग्राम बाघनपाल के राशन दुकान में गए थे जहां एक राशन हितग्राही महिला ने जानकारी दी कि "कुछ समय से लगातार हमको इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आज सुबह से मैं यहां दुकान में आई हूं, और शाम को 5 बजे दुकान बंद करने का समय होता है लेकिन इतने सारे लोगों के कारण राशन संचालक मजबूरी में अभी तक दुकान में है। आज दिन भर में सिर्फ 12 लोगों को ही राशन मिल पाया है। इसपर सरकार को कुछ करना चाहिए।"
एक और सुझाव एक ग्रामीण नें दिया, उन्होंने कहा कि "अगर प्रत्येक ग्राम पंचायत में पुरानी पद्धति से रजिस्टर के माध्यम से वितरण का लेखा रखना शुरू किया जाता है तो हर पंचायत में कुछ गणमान्य नागरिकों को निगरानी समिति के रूप में दायित्व दे दिया जाए। यही समिति लगातार राशन दुकानों में निगरानी रखें तो भ्रष्टाचार पर भी काबू होगा, और ग्राहकों (हितग्राहियों) का भी समय बचेगा।
इन दिनों बस्तर में कहीं भी पहुँच जाएं यह सब समस्याएं आम हो गई है। राशन लेने के लिए ग्रामीणों को भूखे पेट अपनी पारी का इंतजार करना पड़ रहा है। नेटवर्क और सर्वर की स्थिति ऐसी ही बनी रही तो यहां स्थिति और गंभीर होने की संभावना है। आज बस्तर के नागरिक आधुनिकता के इस दौर में मजबूरीवश उन्ही पुराने प्रणाली की मांग एक सुर में कर रहें हैं। अब देखना है कि क्या बस्तर जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन इस मामले में कुछ खास कदम उठाएगी।
No comments