• एसडीएम के दौरे के बाद कलेक्टर बस्तर चंदन कुमार ने दिया था आदेश • बीईओ और डीईओ कार्यालय में अब भी केवल पत्र व्यवहार • ट्रांसफर की आड़ में न...
• एसडीएम के दौरे के बाद कलेक्टर बस्तर चंदन कुमार ने दिया था आदेश
• बीईओ और डीईओ कार्यालय में अब भी केवल पत्र व्यवहार
• ट्रांसफर की आड़ में नक्सल प्रभावित परिवार की कर्मचारी को भेजना, समझ से परे
जगदलपुर : दो सप्ताह से भी ज्यादा समय गुजर चुके हैं, एसडीएम लोहंडीगुड़ा मायानंद चंद्रा द्वारा लोहंडीगुड़ा के दुर्गम क्षेत्रों का दौरा किया गया था। इस दौरे में अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) ने काफी अंदरूनी इलाकों में जाकर ग्रामों की समस्याओं को समझने ग्रामीणों से चर्चा की थी। उन्होंने ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार इन पंचायतों में शालाओं की गंभीर स्थिति और शिक्षक विहीनता के बारे में बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार को जानकारी दी थी। कलेक्टर ने बस्तर जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान तथा लोहंडीगुड़ा शिक्षा अधिकारी चंद्र शेखर यादव को उन पंचायतों में जल्द से जल्द शिक्षकों की बहाली करने के लिए कहा था। जिसकी खबर अलग अलग समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी। मगर आज तक इन पंचायतों में किसी नए शिक्षक को नही भेजा गया। मिली जानकारी के अनुसार बीईओ और डीईओ कार्यालयों में शिक्षक भेजने की प्रक्रिया अब तक केवल पत्र व्यवहार तक ही सीमित है। कलेक्टर के आदेश की अवहेलना करते अधिकारियों की कार्यप्रणाली समझ से परे है।
नक्सलगढ़ में नक्सल पीड़िता को भेजने का दिया आदेश :
एक तरफ जहां घोर नक्सल क्षेत्रों में शिक्षक विहीन शालाएं हैं, वहीं ऐसे क्षेत्रों में नक्सल पीड़िता को भेजे जाने का एक तुगलकी फरमान जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से आया है। मिली जानकारी के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व एक शिक्षिका के पति को नक्सलियों द्वारा मार दिया गया था। प्रशासन को भली भांति जानकारी होने के बावजूद उक्त शिक्षिका को नक्सल प्रभावित मार्डूम के भेजापदर फुलापरा शाला में पढ़ाने का आदेश दिया गया है। यह अन्यायपूर्ण आदेश जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से शिक्षिका को मिला। वर्तमान पदस्थ शाला में उनके स्थान पर अन्य शिक्षक की नियुक्ति की जा चुकी है। जबकि सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे नक्सल प्रभावित परिवार के कर्मचारियों को विशेष रूप से जिला मुख्यालय के आस पास रखना चाहिए। कहीं न कहीं इन्हे सुरक्षित स्थान में शिक्षिका के रूप में बहाल करने के लिए भ्रष्टाचार किए जाने का अंदेशा लोगों द्वारा जताया जा रहा है। बस्तर सांसद दीपक बैज को मामले की जानकारी मिली। उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए, जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र द्वारा अनुशंसा की है कि आदेश में संशोधन किया जाए।
अब यह चिंतनीय विषय है कि ऐसे शिक्षक जो वर्षों से प्रशासनिक छत्रछाया के चलते जिला मुख्यालय में ठाठ की नौकरी कर रहे हैं। उन्हें छोड़ कर असुरक्षित माहौल में नक्सल पीड़िता को भेजे जाने का आदेश कहां तक उचित है?
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