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भूपेश सरकार का दलित और गरीब विरोधी चेहरा उजागर – अमित

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• अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण में कटौती का निर्णय भूपेश सरकार का है तुग़लकी फ़रमान – अमित • अनुसूचित जाति का आरक्ष...

• अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण में कटौती का निर्णय भूपेश सरकार का है तुग़लकी फ़रमान – अमित

• अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 प्रतिशत से 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का आरक्षण 10 प्रतिशत से 4 प्रतिशत किए जाने के सरकार के निर्णय को JCCJ ने कहा विश्वासघात और कुठाराघात।

• अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितों की लड़ाई लड़ेगी जोगी कांग्रेस, ज़रूरत पड़ने पर न्यायालय का शरण लेंगे।
रायपुर : आरक्षण के संदर्भ में छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 16% की जगह 13% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% की जगह 4% आरक्षण किए जाने से इसे दोनों वर्गों के साथ विश्वासघात और तुग़लकी फ़रमान बताते हुए क्षेत्रीय राजनीतिक दल जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा "सरकार के इस कदम से कांग्रेस का दलित और गरीब विरोधी चेहरा उजागर हो गया है, इसके पहले सरकार की उदासीनता और लापरवाही के कारण आदिवासी वर्ग का आरक्षण 32 प्रतिशत से 20 प्रतिशत हुआ। अब सरकार ने विशेष सत्र के नाम पर अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण पर कटौती करते हुए इन वर्गों के साथ कुठाराघात किया गया है।" उन्होंने कहा "अनुसूचित जाति और ग़रीबों का अपमान हम कदापि नहीं सहेंगे। JCCJ इसका सड़क से लेकर सदन तक पुरज़ोर विरोध करेगी। आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय के भी शरण में जाएँगे।"

ज्ञात होकि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को आरक्षण के मसले में दिनांक 30 नवंबर को ही एक पत्र लिखते हुए कहा था कि आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार द्वारा पहल कर 01 दिसंबर, 2022 को सरकार के द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र में आरक्षण के मुद्दे को हम सभी राजनीतिक दलों और सम्मानीय जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और मतभेदों को त्यागने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने पत्र में कहा था समय आ गया है कि चुनावी वादों को बिना किसी विलंब के तत्काल क्रियान्वयन में लाया जाए।

अमित जोगी ने छत्तीसगढ़ राज्य का आरक्षण संशोधन विधेयक 2022, समूचे देश के लिए सामाजिक न्याय का श्रेष्ठ उदाहरण बनाने के लिए सुझाव भी दिया था कि अनुसूचित जाति को 16%, अनुसूचित जनजाति को 32% , अन्य पिछड़ा वर्ग को 27%, और ईडब्ल्यूएस को 10% आरक्षण जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए भी आरक्षण का प्रावधान हो । 
इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण, छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को 100% आरक्षण का प्रावधान किया जाये और इसे कानून का रूप देकर संविधान की नवीं अनुसूची में शमिल करने पहल की जाये। विधेयक पारित होते ही उसे महामहीम राष्ट्रपति को संविधान की 9वीं अनुसूचि में सम्मिलित करने हेतु प्रेषित किया जाए ताकि इस व्यवस्था को न्यायिक चुनौती से सुरक्षित रखा जा सके।

अमित जोगी ने आरक्षण की उपरोक्त नीति “छत्तीसगढ़ सर्व वर्ग हिताय और छत्तीसगढ़िया सुखाय” की बुनुयादी व्यवस्था को मजबूत करेगी और छत्तीसगढ़ की आने वाली पीढ़ी के लिए सामाजिक आरक्षण के साथ आर्थिक संरक्षण की व्यवस्था को लागू करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होने की बात की थी। लेकिन सरकार ने अमित जोगी के मुख्यमंत्री से अनुरोध और उनके सुझावों पर अमल नहीं किया बल्कि अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण पर कटौती करते हुए उनके साथ अन्याय कर दिया।

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