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लकवाग्रस्त ग्राम पंचायत सचिव का परिवार विभागीय अनदेखी का शिकार

 • जनपद बस्तर के ग्राम पंचायत गुनपुर में सचिव के रूप में पदस्थ खूंटी राम कश्यप का मामले • परिवार को आर्थिक सहायता तो दूर वेतन से भी  वंचित •...

 • जनपद बस्तर के ग्राम पंचायत गुनपुर में सचिव के रूप में पदस्थ खूंटी राम कश्यप का मामले

• परिवार को आर्थिक सहायता तो दूर वेतन से भी  वंचित

• इलाज के लिए पैसे जुटाना भी मुश्किल



जगदलपुर : विकासखंड बस्तर के ग्राम पंचायत रतेंगा के निवासी खूंटी राम कश्यप पिछले तीन वर्षों से लकवा से ग्रस्त हैं। उनकी पत्नी ने जानकारी दी कि दिन बा दिन वे और भी अधिक असक्त होते जा रहे हैं। अब उन्होंने बात करना भी बंद कर दिया है। कुछ माह पहले उनकी पत्नी जनपद सीईओ से मिलने, खूंटी राम कश्यप की वेतन भेजने की अर्जी और चार माह का मेडिकल सर्टिफिकेट लेकर गई थी। उन्होंने कहा कि "जब काम में नही जा रहे हैं तो किस बात का वेतन!" इसपर उनकी पत्नी द्वारा कहा गया कि "सर! वे न तो चल पा रहे हैं और न ही शरीर में हलचल है। ऐसे में वे कैसे अपने काम पे जा पाएंगे?" इसके बाद भी आज तक इनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया। शासन द्वारा चिकित्सकीय सहायता दिए जाने के प्रश्न पर इनकी पत्नी ने बताया कि "सरकार से कोई भी मदद नहीं मिली है। मैं कम पढ़ी लिखी हूं, किसी तरह भी इन्हे अलग अलग जगह से अस्पताल और वैद्यों को दिखा कर अब तक इनका इलाज करवाने की कोशिश कर रही हूं। उसके बाद भी इनकी हालत खराब हो रही है। अगर इन्हे अच्छे अस्पताल में ले जाएं तो हालत में सुधार आएगा।" उन्होंने आगे बताया कि "अभी हमारी स्थिति बड़े अस्पताल में इलाज करवाने वाली नही है।"


खूंटी राम जी के तीन बच्चे हैं, सबसे बड़ी बेटी पिछले वर्ष बारहवी की परीक्षा उत्तीर्ण करके आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए पास ही बीजाकसा जलप्रपात में पार्किंग स्थल में काम करने को मजबूर हैं। मंझला और छोटा बेटा अभी उसरीबेडा में कक्षा बाहरवीं और छठवीं की पढ़ाई करतें हैं। ऐसी ही स्थिति रही तो बच्चों का भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। बता दें उनकी पत्नी और बेटी किसी तरह घर का खर्च चला रहें हैं। इसपर विभाग की उदासीनता बताती है की बस्तर के दुरस्त गांवों में रहकर शासकीय सेवाएं देने वाले कर्मचारियों के लिए शासन प्रशासन कितना असंवेदनशील है। ऐसे हालात में प्रशासन को उनका चिकित्सकीय व्यय तो उठाना ही चाहिए था। 


जनपद सीईओ जयभान सिंह राठौर ने कहा कि "हम हर एक कर्मचारी को कहते हैं कि अगर तबियत खराब है तो अपनी मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करवाए। इसके लिए जो भी प्रावधान होगा वह सब उनके लिए किया जाएगा। इस संबंध में यहां के सचिव संघ को भी आगे आना चाहिए। अभी तक हमारे पास आवेदन नहीं आया है। नियम से देखा जाए तो अभी इनकी छुट्टियां इतनी लंबी हो गईं हैं, कि हम ऐसी स्थिति में उनका वेतन नहीं दे पाएंगे। परिवार मेडिकल सर्टिफिकेट जमा कर दें तो प्रशासन से जो कुछ भी मदद होगी हम करेंगे।" अंत में उन्होंने आश्वासन दिया है की वे किसी सचिव को उनके पास भेजकर स्थिति पर आवश्यक सहायता करवाएंगे।


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