Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

राज्य स्तरीय युवा महोत्सव: छत्तीसगढ़ लोक साहित्य सम्मेलन

      छत्तीसगढ़ लोक साहित्य के पहले सत्र के अध्यक्ष डा.परदेशी राम वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। युवा महोत्सव के त...

   



 छत्तीसगढ़ लोक साहित्य के पहले सत्र के अध्यक्ष डा.परदेशी राम वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

युवा महोत्सव के तीसरे एवं अंतिम दिन पहले सत्र में कहानी रचना एवं दूसरे सत्र में कविता पाठ का आयोजन होगा।
युवा महोत्सव के तीसरे एवं अंतिम दिन पहले सत्र में कहानी रचना पाठ में 8 प्रतिभागी भाग लेंगे।
युवा महोत्सव के तीसरे एवं अंतिम दिन दूसरे सत्र में कविता पाठ में 16 प्रतिभागी भाग लेंगे।

महासमुंद के बंधु राजेश्वर खरे ने अपनी कहानी में शीर्षक माटी के आसरा का वाचन किया। कहानी में लाखन मंडल के भरे पूरे परिवार के बारे में बताया गया।लाखन मंडल के गुजर जाने के बाद उसके बेटे बिसरू के शराब और जुए की लत से बिगड़ने और संपत्ति को नही बचाने की बात पर केंद्रित रहा।

कोरबा के  मंगत रविन्द्र ने बेटा शीर्षक पर कहानी सुनाई।गांव में चौराहों पर होने वाली बात को सुंदर कहानी के रूप में पिरोया।झाड़ू बबा की कहानी बड़ी रोचक होती थी।जमीन के सौदे से जुड़ी कहानी में जेठू ने बताया की चैतु अपनी जमीन बेचने के लिए सौदा किया,अब चैतू जमीन बेचने से इंकार कर रहा है।इकरारनामा अनुसार पंचायत अपना फैसला जेठू के पक्ष में करने के लिए इकरारनामा को प्रस्तुत करने कहा।घर जाने पर पत्नी द्वारा इकरारनामा पेपर में अपने पिता को रोटी पीठा बांधकर दे देने पर जेठू बहुत नाराज हुआ।अनपढ़ पत्नी के कारण इकरारनामा गुमने से चैतू को  जमीन नही मिलता।पर अंतिम में उसे जमीन देने पर सहमति हुई।जुबान की कीमत होती है,निस्कर्षत
जांजगीर -चांपा के  रामनाथ साहू ने प्रतिशोध पर केंद्रित कहानी का वाचन किया।आवेश या सोच समझकर कर किए गए प्रतिशोध में अंतर होता है।नक्सली घटनाओं पर आधारित इस कहानी में शांति से जीवन बिताने की बात बताई।

छत्तीसगढ़ लोक साहित्य के दूसरे सत्र के अध्यक्ष  रामेश्वर वैष्णव ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

 रूपेश तिवारी ने "ए ग जवईया सुन तोर ठहराव कहा हे,शहरिया चकाचौंध म तोर गांव कहा हे" जैसे कविता से शमा बांधा।

बंटी छत्तीसगढ़िया ने" बेटी सुख के आंखी, ऊही दिया उही बाती, तीपत तेल न झन डार ग,बेटी ल पेट म झन मार ग" से अपनी कविता प्रारंभ किया।

 जयमती कश्यप ने हल्बी और  नरेंद्र पाढ़ी ने शादरी एवं भतरी में अपनी कविता का वाचन किया।



from Udai Bharat https://ift.tt/PHkjMwF

No comments