जगदलपुर (चुम्मन कुमार दास) : मध्य प्रदेश सरकार ने 11 फरवरी 1961 को राजा प्रवीण चंद भंजदेव को राज्य विरोधी होने के नाम पर गिरफ्तार किया। फिर...
जगदलपुर (चुम्मन कुमार दास) : मध्य प्रदेश सरकार ने 11 फरवरी 1961 को राजा प्रवीण चंद भंजदेव को राज्य विरोधी होने के नाम पर गिरफ्तार किया। फिर बस्तर के भूतपूर्व शासक होने की मान्यता भी समाप्त कर दी गयी। इसके साथ ही छोटे भाई विजय चंद्र भंजदेव को भूतपूर्व शासक होने के अधिकार तत्कालीन म.प्र.सरकार ने दे दिये थे,जब सरकार के पदस्थ कुछ अधिकारियों ने तस्करो के साथ मिलकर साथ-गांठ कर प्रवीण चंद्र भंजदेव को षडयंत्र पूर्वक उन्हें पद से हटा दिया। वहीं 13 फरवरी को प्रवीण चंद्र भंजदेव को नरसिंगगढ़ म. प्र.के जेल में बंद कर दिया गया। तब यहाँ के आदिवासियों को पता चला कि प्रवीण चंद्र भंजदेव राजा के पद से हटा कर उनके जगह छोटे भाई विजय चंद्र भंजदेव (लाल) को राजा बनाया गया है, यह बात बस्तर के आदिवासियों को कबूल नहीं हुई। विजय चंद्र भंजदेव को राजा मानने से साफ मना कर दिये।
आदिवासी क्षेत्रों में जगह-जगह मीटिंग बुलाई बुलाई गई, सुनने वाले कोई नही मिले, गांवो के हाट-बाजारो में बताया कि हमारे राजा को जेल में बंद कर दिया गया है, उसके जगह विजय चंद्र भंजदेव को राजा बनाया गया है बोल कर बहुत प्रचार-प्रसार किया गया, तब ग्रामीण क्षेत्रों से अपने राजा प्रवीण चंद्र भंजदेव को देखने के लिए गये, परिसर में चारों तरफ पुलिस बलों को तैनात किया गया था। प्रवेश करने नही दिया गया, आदिवासियों को पता चला कि राजा के बैठने के स्थान पर उसके छोटे भाई विजयी चंद्र भंजदेव (लाल) बैठे हैं। अपने राजा को मिलने के लिए 30-35 दिनों तक इंतजार कर रहे थे लेकिन आदिवासियों को पता नहीं चला कि हमारा राजा कहां हैं। आदिवासियों के साथ विश्वास घात हो चुका था, हंगामा करें तो कहा करें लेकिन विजय चंद्र भंजदेव का विरोध हो रहा था।
31 मार्च को रणनीति के केंद्र रहा बेलियापाल मैं सुबह से ही करीब दस हजार आदिवासी अपने हाथों में तीर धनुष, फरसा टंगीया आदि हथियार लेकर बेलियापाल के बनवड़ी मे उपस्थित हुए लगभग हजारों सुरक्षा बल को गुप्त रूप से लोहंडीगुड़ा के छोटे जंगलो मे तैनात किया गया।
बेलियापाल मे थाना को घेरने जुलूस के रूप मे लोहंडीगुड़ा थाना की ओर रवाना हुए जैसे जैसे जुलूस थाना की ओर जाती रही वैसे वैसे भीड़ बड़ती ही गयी।
हजारों सुरक्षा बल पुलिसकर्मियों ने उग्र भीड़ को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश किया किंतु भीड़ जो काफी उग्र हो चुकी थी,पुलिस ने माइक के माध्यम से समझाने की कोशिस कर रहे थे भीड़ को तितर बितर करने के लिए अश्रु के गोले छोड़े गए लेकिन भीड़ हिंसक बन गयी इसके बाद पुलिस कर्मियों के द्वारा लोगों को पीटा जाने लगा तब आदिवासियों ने भी तीरधनुष चलाना शुरू कर दिया।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए व पुलिसकर्मी अपने बचाव के लिए गोली चलाना शुरू कर 40 राउंड फायरिंग भीड़ मे चलाई गयी, उसके बाद फिर 5 राउंड फायरिंग किया गया इसमें कई आदिवासी समुदाय के सेकडों आदिवासी शहीद हुए लेकिन इनमे 12 व्यक्ति को ही पहचान सके।
No comments