आज विश्व रंगमंच दिवस है भिलाई रंगमंच को नई ऊंचाई मिलेगी भिलाई : विश्व रंगमंच की पूर्व संध्या को भिलाई के वरिष्ठ रंगकर्मियों की बेहद स...
आज विश्व रंगमंच दिवस है
भिलाई रंगमंच को नई ऊंचाई मिलेगी
भिलाई : विश्व रंगमंच की पूर्व संध्या को भिलाई के वरिष्ठ रंगकर्मियों की बेहद समसामयिक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। अंचल के कलाकारों का समूह कला एवं साहित्य समूह द्वारा आयोजित गोष्ठी को संचालित करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी विभाष उपाध्याय ने सर्वप्रथम बताया कि समाज में नाटकों की कल्याणकारी भूमिका को रेखांकित करने के लिए अंतर राष्ट्रीय नाट्य संगठन द्वारा 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस घोषित किया गया था। प्रथम विश्व रंगमंच दिवस 27 मार्च 1962 को पेरिस में बनाया गया था। उसके बाद पूरी दुनिया के रंगकर्मी अपनी एकजुटता, पारस्परिक सांस्कृतिक आदान प्रदान करने के लिए यह दिवस मनाते हैं। इस वर्ष मिस्र की मशहूर अभिनेत्री साहिबा अयूब का पूरे विश्व के रंग कर्मियों को भेजा गए संदेश का हिंदी अनुवाद वरिष्ठ रंगकर्मी मणिमय मुखर्जी ने पढ़कर सुनाया। उन्होंने चर्चा आगे बढ़ाते हुए बच्चों और युवाओं को रंगमंच से जोड़ने वाले बहुआयामी फायदों को बतायाा। रंगकर्मी और मशहूर फिल्म अभिनेता प्रदीप शर्मा ने नुक्कड़ नाटक पर जोर देते हुए शहर के वरिष्ठ और नए नए रंग कर्मियों को साथ साथ काम करने की सलाह दीी। सुरेश गोंडाले ने कहा कि प्रोफेशनल बनने के लिए हमें शून्य से शुरू करना होगा , क्योंकि अभी दर्शकों का पर्याप्त रंगमंच-पसंद समूह नहीं हो पाया है। बाल नाटकों व कविताओं के साहित्यकार गोविंद पाल ने पुराने दिन याद करते हुए बताया कि जात्रा देखने वाला पुराना जुनून अब नहीं मिलता। आज मीडिया भी पुरानी कलाओं से दूर करने वाला एक तत्व बन गया है। इस पर सुरेश गोंडाले ने कहा कि यदि मीडिया का इस्तेमाल स्वविवेक से किया जाए तो उतना हावी नहीं हो सकता। भानु जी राव ने टिकट लगाकर नाटक करने की बात कहते हुए स्कूल कॉलेज से बच्चे निकालकर और विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों को रंगमंच की सुविधाओं के लिए आग्रह करने की बात पर जोर दिया। जयप्रकाश नायर ने कहा कि भिलाई दुर्ग में थिएटर को लेकर कोई संघर्ष ही नहीं दिख रहा हैै। उन्होंने संपूर्ण थियेटर के लिए कपिल शर्मा का उदाहरण दिया / बबलू विश्वास ने कहा कि रंगकर्मियों को स्वयं के बूते पर एक रंगकर्मी सयतार्थ फंड बनाना चाहिए, और इस फंड से हम बड़े-बड़े आयोजन भी कर पाएंगे / गुलाम हैदर मंसूरी ने रंग कर्मियों से प्रश्न किया कि पिछली पीढ़ी ने सांस्कृतिक विरासत के रूप में आने वाली पीढियों को क्या दिया? हैदर ने कहा कि थिएटर को बिना सरकारी सहायता के शक्तिशाली होना होगा, यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमें नाटकों में वह दिखाना पड़ेगा जो वह चाहते हैं / अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली जाएगी / उपस्थित आर सी सामंत और राजू शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए / अंत में विभाष उपाध्याय ने कहा कि जो जोश इस विचार गोष्ठी के अंदर दिखा वही साल भर परोक्ष रूप से भी दिखना चाहिए।
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