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तहसील मुख्यालय से महज 200 मीटर दूरी पर विवादित जमीन में मंदिर ध्वस्त कर काटे कई वृक्ष, पटवाया तालाब, कब्जा साबित करने भटक रही महिलाएं

• बिना किसी नोटिस के सीमांकन करने पर कब्जाधारी परिवार ने उठाया सवाल • दूसरे पक्ष को लाभ पहुंचाने का लगाया आरोप • पटवारी और आर आई पर लगे गंभी...

• बिना किसी नोटिस के सीमांकन करने पर कब्जाधारी परिवार ने उठाया सवाल

• दूसरे पक्ष को लाभ पहुंचाने का लगाया आरोप

• पटवारी और आर आई पर लगे गंभीर आरोप

• 5 मई को सीमांकन किया गया।

• दो दिनों के भीतर ही जमीन से उखाड़े फलदार वृक्ष, पटवाया तालाब और पीढ़ियों से स्थापित मंदिर में किया तोड़फोड़

• तहसीलदार ने दिया जांच कर उचित कार्यवाही करवाने का आश्वासन 

• पीड़ित परिवार शासकीय रिकॉर्ड निकालने भटक रहा है।



जगदलपुर : नवगठित तहसील नानगुर के एक परिवार ने शिकायत की है कि पीढ़ियों से बसे उनके परिवार की जमीन पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपनी भूमि बताकर गलत सीमांकन करवाया गया है। बता दें नानगुर तहसील कार्यालय से लगभग 200 मीटर की दूरी पर एक मानिकपुरी परिवार कई पीढ़ियों से स्थापित हैं। हाल में ही उनको तब बड़ा झटका लगा जब 5 मई को उनके पड़ोस के एक परिवार, जो महारा समाज के हैं। उनके द्वारा स्थानीय पटवारी और आर आई को लेकर अचानक ही सीमांकन का कार्य शुरू किया गया। मानिकपुरी परिवार में अधिकतर महिलाएं ही हैं। उन्होंने मौजूद शासकीय कर्मचारियों से जानकारी लेनी चाही तो बताया गया कि यहां बस शासकीय भूमि पर सीमांकन करने के उद्देश्य से तहसील से लोग आए हैं। परिवार ने जानकारी दी कि जब सरकारी कर्मचारी जमीन को माप रहे थे तभी उनके पड़ोस में रहने वाले महारा समाज के क्रिस्चन धर्म के लोगों द्वारा आनन फानन में अपना बाउंड्री लाइन वाला खूंटा लाकर लगाना शुरू कर दिया। जिसका विरोध करने पर उन्होंने उस पूरी जमीन को अपनी जमीन बताया जिसपर कई पीढ़ियों से मानिकपुरी परिवार काबिज है। 



जब 5 मई को बुद्ध पूर्णिमा की शासकीय अवकाश का दिन था, तो यहां पटवारी और आर आई का आना कई सवालों को जन्म देता है। परिवार के लोगों ने आरोप लगाया कि स्थानीय तहसीलदार भी 5 मई से छुट्टी पर थे, और कुछ दिनों बाद ही लौटे। दूसरा सवाल यह है कि जब भी राजस्व के मामले में कोई सीमांकन का कार्य होता है तो वहां के निवासियों और आस पड़ोस को विभाग की ओर से नोटिस भेजा जाता है। यह नोटिस ना भेजकर सीधे सीमांकन करने को कितना वैधानिक माना जा सकता है। यहां यह भी बताना आवश्यक है कि मानिकपुरी परिवार के शासकीय रिकॉर्ड निकालने के लिए मोहलत मांगने के अनुरोध के बावजूद दूसरे पक्ष द्वारा सीमांकित भूमि पर दो से तीन दिनों के भीतर ही कुछ फलदार वृक्षों को काट दिया गया। यहां कथित जानकारी के अनुसार उस भूमि में मानिकपुरी परिवार को जोगी डबरी मिला था जिसे तुरंत पटवा दिया गया। इसी भूमि पर एक शिव मंदिर और हिंग्लाजिन माता का मंदिर भी था जिसे उनके द्वारा तोड़ा गया। वहां नुकसान के डर से मानिकपुरी परिवार द्वारा स्थापित शिवलिंग और पूजन सामग्रियों को अन्यत्र स्थान में रखा गया है। यह सारी घटनाएं कई बड़े संदेह उत्पन्न कर रहें हैं।

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