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संत रामपाल महाराज जी के शिष्यों ने जगदलपुर में निकाली आध्यात्मिक जन चेतना सतगुरु शोभा यात्रा

जगदलपुर : आज संत रामपाल महाराज जी के शिष्यों के द्वारा आकाशवाणी टावर तेलीमारेंगा से रवाना होकर शहर के विभिन्न मार्गो बी-आर कोल्ड स्टोरेज, ...

जगदलपुर : आज संत रामपाल महाराज जी के शिष्यों के द्वारा आकाशवाणी टावर तेलीमारेंगा से रवाना होकर शहर के विभिन्न मार्गो बी-आर कोल्ड स्टोरेज, पल्ली नाका, अग्रसेन चौक, कुम्हार पारा, माडिया चौक से पुराना बस स्टैण्ड, संजय मार्केट से होते हुए गीदम रोड से वापस तेलीमारेंगा तक विशाल शोभायात्रा निकाला गया। यह शोभा यात्रा *परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस* के अवसर पर निकाला गया। जून महीने की ज्येष्ठ शुदि पूर्णमासी संवत् 1455 (सन् 1398) को कबीर परमेश्वर सत्यलोक से चलकर आए तथा काशी शहर के लहरतारा नामक सरोवर में कमल के फूल पर शिशु के रूप में प्रकट हुआ। वहां से नीरू तथा नीमा नाम के जुलाहा (धाणक) दंपति थे, उन्हें उठा लाए। शिशु रूप धारी परमेश्वर कबीर्देव (कबीर साहेब) जी ने 25 दिन तक कुछ भी आहार नहीं किया। नीरू तथा नीमा पिछले जन्म में ब्राह्मण थे। बच्चे की नाजुक स्थिति देखकर नीमा ने अपने ईष्ट देव शिवजी को याद किया। शिवजी साधु वेश मैं वहां आए तथा बालक रूप में विराजमान कबीर परमेश्वर जी को देखा। बालक रूप में कबीर साहेब जी ने कहा हे शिवजी इन्हें कहो एक कुंवारी गाय लाए वह आपके आशीर्वाद से दूध देगी। ऐसा ही किया गया कबीर परमेश्वर के आदेशानुसार भगवान शिव जी ने कुंवारी गाय की कमर पर थपकी लगाई उसी समय बछिया के थनों से दूध की धार बहने लगी। एक कोरा मिट्टी का छोटा घड़ा नीचे रखा पात्र भर जाने पर दूध बंद हो गया।फिर प्रतिदिन थनों के नीचे करते ही बछिया के थनों से दूध निकलता उसको परमेश्वर कबीर जी पिया करते थे। 



इसी बात की गवाही ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 देता है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।



अभी इमं अध्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् । सोममिन्द्राय पातवे ॥19॥

कबीर परमेश्वर जी चारों युगों में आते हैं सतयुग में सतसुकृत, त्रेतायुग में मुनींद्र नाम से द्वापरयुग करुणामय नाम से और कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर परमेश्वर (कबीर साहेब) के नाम से प्रकट होते हैं।


एक बिजली खान पठान मगहर रियासत नवाब था। मगहर नदी के साथ से एक आमी नदी बहती थी वह भगवान शंकर जी के श्राप से सुख गई थी भगवान शिव का दूसरा श्राप था कि जो मगहर में प्राण त्यागेगा वह गधे की योनि को प्राप्त करेगा फिर नर्क में जाएगा। जो काशी मैं मरेगा वह बैकुंड में जाएगा। इस भ्रम का निवारण करने के लिए परमेश्वर कबीर जी ने एक लीला की जो अपने अंतिम समय पर मगहर (उत्तर प्रदेश) में संवत् 1575 (सन् 1519) को

  श-शरीर सनातन परमधाम सतलोक को गए। मृत शरीर के जगह पर चादर से ढके हुए कमल के पुष्प मिले। जिसे देख जनता हैरान रह गयी और कबीर साहेब जी का जयकारे लगाने लगे और कबीर साहेब जी को चाहने वाले हिंदू एवं मुसलमान ने आपस में पुष्प व चादर को आधा-आधा बांट लिया। परमेश्वर कबीर जी की मगहर लीला प्रमाण के लिए हिंदूओ ने मंदिर बनाया और मुसलमानो ने मजार का निर्माण किया।


*कबीर साहेब प्रकट दिवस* के अवसर पर पूरे भारतवर्ष में 10 आश्रमों में 2,3, एवं 4 जून 2023 को विशाल भंडारा, रक्तदान एवं दहेज मुक्त आदर्श विवाह का आयोजन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में संत रामपाल जी महाराज के लाखों शिष्य हैं, छत्तीसगढ़ में संत रामपाल जी महाराज के शिष्य इस कार्यक्रम के लिए सतलोक आश्रम इंदौर और सतलोक आश्रम बेतूल जाएंगे। 


परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस के अवसर पर जिला बस्तर सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में विशाल शोभायात्रा निकाली जा रही है। इस शोभायात्रा का उद्देश्य मानव समाज को नशा मुक्त करना, आडम्बर मुक्त, दहेज मुक्त, करना है। संत कबीर साहेब जी एक ऐसे संत हैं जिन्होंने समाज को एक नई दिशा प्रदान की है। जाती पाती के भेदभाव को समाप्त करके स्वच्छ समाज का निर्माण करना हमारा उद्देश्य है। इस विशाल शोभायात्रा (रैली) के माध्यम से हम आप सभी को *कबीर प्रकट दिवस* के कार्यक्रम में सादर आमंत्रित करते हैं।


इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के राज्य संयोजक दुष्यंत साहू, बस्तर संभाग संयोजक शंकर लाल ताती जिला संयोजक गनपत सेठिया,दिनेश नाग एवं बस्तर से बड़ी संख्या में संत रामपाल जी महाराज के शिष्य उपस्थित रहे।

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