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बस्तर संभाग में छात्रावासों में रह रहे बच्चों की सुरक्षा पर खतरा

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जगदलपुर : बस्तर संभाग के अलग अलग जिलों में किए गए अनुभवों के आधार पर हमारी टीम ने दुरस्त स्थानों के छात्रावासों और पोटा केबिनो पर रिपोर्ट ब...

जगदलपुर : बस्तर संभाग के अलग अलग जिलों में किए गए अनुभवों के आधार पर हमारी टीम ने दुरस्त स्थानों के छात्रावासों और पोटा केबिनो पर रिपोर्ट बनाई हैं। हमे जो अनुभव हुआ उसका निचोड़ नीचे हम प्रकाशित कर रहें हैं। यहां पाठकों को यह भी बताना आवश्यक है कि यहां अधिकतर ऐसे छात्रावासों के बारे में बताया गया है जहां सुविधाएं दुरुस्त करने की अतिआवश्यकता है।



हाल ही में हुए बच्चों के भागने की शिकायत इन छात्रावासों से आईं थीं। जैसे बस्तर के तोकापाल बालिका छात्रावास, बालक छात्रावास मोरठपाल, कोंडागांव बालिका छात्रावास, पिछले सत्र में बस्तर जनपद के अंतर्गत एक बालिका छात्रावास से चार बालिकाओं के भागने की खबर आई थीं मगर अब तक कोई खास तैयारी इस सत्र में भी नहीं दिखीं।

मिली हुई अग्निशमन यंत्र के उपयोग की जानकारी अधिकतर को नहीं...




अग्नि से बचाव के लिए कोई जागरूकता नहीं

हाल ही में सुकमा जिले के एक बालिका छात्रावास में आगजनी की घटना हुई थी। बस्तर संभाग में इस तरह की घटनाओं से अन्य छात्रावासों और पोटा केबिन के प्रबंधन ने आज तक कोई सबक नहीं लिया। जहां एक ओर प्रत्येक जिला प्रशासन दावा करता है कि उनकी ओर से छात्रावासों में रहने वाले बच्चों को सुरक्षा और अच्छी व्यवस्था प्रदान की गई है वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयान कर रही है। दरअसल हमारी टीम ने कई आश्रम शाला और पोटा केबिन में देखा कि वहां इस तरह की किसी भी इंतजामातो से एक तो वहां के कर्मचारी और अधिकारी अनभिज्ञ थे। दूसरी ओर उन्हें यह भी भान नहीं था कि अगर ऐसी कोई आपात स्थिति आ जाती है, जब भवन में शॉर्ट सर्किट हो जाए, क्योंकि अभी बरसात का मौसम है, तो ऐसी स्थिति से किस तरह निपटना चाहिए। एक पोटा केबिन में जब हमने उनसे अग्नि शमन यंत्र होने की बात पूछी तो उनका कहना था कि उनके पास अग्नि शमन यंत्र है। मगर जब हमने उनसे दिखाने को कहा तो वे और उनके स्टाफ के साथ बहुत से छात्र भी अग्नि शमन यंत्र लगभग 20 मिनट तक ढूंढते रहे मगर यंत्र नहीं मिला। इससे साफ जाहिर होता है कि 500 सीटर छात्रावास में भी लापरवाही का अंबार लगा हुआ है जिस पर प्रशासन को शीघ्र अतिशीघ्र ध्यान भी देना चाहिए और आपात स्थिति से निपटने के लिए कदम बढ़ाना चाहिए।


खाने पीने की कोई उत्तम व्यवस्था नहीं

हमारी टीम ने कई अलग-अलग आश्रम शाला और पोटा केबिन में जाकर वहां की सभी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। जिसमें सबसे मुख्य जो आवश्यक वस्तु होती है वह बच्चों को मिलने वाला आहार होता है। क्या खिलाना है किस दिन क्या बनना है, पोषण मापदंड अनुसार पूरे सप्ताह का मीनू चार्ट पहले से ही तय होता है। ऐसे में हमें अलग अलग छात्रावासों के बच्चों ने जानकारी दी कि उन्हें कहीं दाल मिलती है तो सब्जी नहीं बनती और कुछ बच्चों ने अलग-अलग सब्जियों के नाम बताएं ताकि उनके छात्रावास के कर्मचारी और अधिकारियों पर कोई बात न आए और मामला वही रफा-दफा हो जाए।


प्रसाधन सामग्रियों के नाम पर गुणवत्ता हीन वस्तुओं का उपयोग

बच्चों को मिलने वाली प्रसाधन सामग्रियां कई छात्रावासों में अच्छी मिली लेकिन दूसरी ओर कई ऐसे अधीक्षक भी मिले जो बच्चों को उनके प्रसाधन की सामग्रियां हमें दिखाने से मना करते रहे। जिससे साफ जाहिर होता है कि उन्हें या तो प्रसाधन की सामग्रियां उचित समय में और गुणवत्ता के साथ नहीं दी जाती इसी मामले को दबाने हेतु कई अधीक्षकों ने हमें सामग्रियां नहीं देखने दीं। बतादें सरकारी छात्रावासों में अधीक्षकों द्वारा सभी बच्चों को नहाने का साबुन, कपड़े धोने का साबुन, बाल में लगाने का तेल, ब्रश, जीबी और टूथपेस्ट देना अनिवार्य है। छात्रावासों में आए पालकों और बच्चों से जानकारी मिली की ये वस्तुएं वे स्वयं खरीदते हैं। बता दें राज्य सरकार ने पिछले साल तक प्रति विद्यार्थी ₹1000 दिए जाने को बढ़ा कर डेढ़ हजार तक कर दिया, उसके बाद भी अगर बच्चों को इन छोटी-छोटी वस्तुओं से अधीक्षक वंचित रखते हैं, तो यह एक गंभीर प्रश्न है। बता दे साफ सफाई से ही संक्रामक रोगों से लड़ने के लिए शरीर को तंदुरुस्त बनाया जा सकता है, अगर साफ सुथरा रखने के लिए प्रसाधन सामग्री मुहैया नहीं कराई जाए, तो यह नौनिहाल बच्चे जल्दी ही संक्रमण की चपेट में आकर अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं।



बच्चों से आश्रमों और पोटा केबिन में करवाई जा रही साफ सफाई 

यह गंभीर प्रश्न है कि जो बच्चे आश्रम छात्रावासों में अच्छी पढ़ाई करने के उद्देश्य से आते हैं, अगर उन्हें वहां श्रम कराया जाए साफ सफाई, टीचर्स के कपड़े धूलवाना, यह बहुत ही गलत बात है। जो बच्चे आश्रमों में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं उनकी देखरेख, उन्हें सही समय में खाना देना, वहां की साफ सफाई करने हेतु  कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। जिन्हें उसके एवज में वेतन दिया जाता है। अगर बच्चे वहां साफ सफाई करते पाए जाते हैं तो इसका साफ मतलब यही है की वह कर्मचारी और मुख्य रूप से पदस्थ अधीक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही ढंग से नहीं कर रहे हैं।


भवनों में सीलन से शॉर्ट सर्किट का खतरा 

कई भवनों में सीलन और गलत तरीके से की गई वायरिंग साफ दिखाई देती हैं यह भविष्य में दुर्घटनाओं को आमंत्रित करने वाली भूलें हैं। आश्रमों के निर्माण में बरती हुईं लापरवाहियों के लिए ठेकेदार के अलावा भी शासकीय कर्मचारी और अधिकारी जिम्मेदार हैं। अभी बारिश के मौसम में अधिकतर भवनों में सीलन साफ देखी जा सकती है। सुकमा में जो बालिका छात्रावास में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगने की घटना हुई। उसे लेकर अभी भी संभाग के छात्रावासों के कर्मचारी अधिकारी निश्चिंत हैं। आज तक कोई खास व्यवस्था इन घटनाओं के रोकथाम और बचाव के लिए नहीं की गई है। हमने इन दिनों पूरे संभाग के भ्रमण के दौरान वहां कार्यरत कर्मचारियों और विद्यार्थियों से जानकारी लेनी चाही की अगर अचानक कोई शॉर्ट सर्किट हो जाए और भवन में आग फेल जाए तब आप क्या करेंगे। अधिकतर लोगों ने उसपर पानी से नियंत्रण करने की बात कही। जिससे हमे पता चलता है कि यहां ऐसी स्थिति में कितनी बड़ी लापरवाही सामने आ सकती है। हालांकि हमने वहां जागरूक करते हुए उन्हें बाल्टियों में रेत भरकर रखने और अग्नि शमन यंत्र रखने का सुझाव दिया। इसपर सभी जिलों के मुख्य अधिकारियों को जल्द से जल्द जागरूकता अभियान चलाकर, बच्चों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना नितांत आवश्यक है।



फर्स्ट एड किट नदारत, जहां हैं वहां एक्सपायर्ड दवाइयां पाईं गईं

कई आश्रम शालाओं में फर्स्ट एड किट ही नही थीं। अधिकतर अधीक्षकों ने बताया कि कोई भी चोट लगने पर वे बच्चों को नजदीकी उप स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर मरहम पट्टी करवाते हैं। जब हमने उनसे पूछा की जब छुट्टी हो या रविवार का दिन हो जब वह उप स्वास्थ्य केंद्र बंद होता है तब आप क्या करेंगे? इसपर उन्होंने चुप्पी साध रखी थीं। वहीं कई छात्रावासों में किट में दवाइयां तो उपलब्ध थी मगर वे सभी कई महीनों या एक दो साल पहले ही एक्सपायर्ड हो चुकीं थीं। इसपर प्रशासन को सतत निगरानी रखने की आवश्यकता है कि कही छोटी सी चूक की वजह से किसी बच्चे के साथ कोई बड़ी घटना न घटित हो जाए। 


सी मार्ट के अधिकतर सामान भी गुणवत्ताहीन 

कई छात्रावासों में हमे शिकायत मिली की सरकार द्वारा इन दिनों सी मार्ट से खरीदी करके उन वस्तुओं का प्रयोग किए जाने का निर्देश है। मगर वे वस्तुएं बिल्कुल गुणवत्ताहीन हैं, जिसे बच्चे उपयोग नहीं करना चाहते। ताजा मामले के तहत दंतेवाड़ा के एक बालक छात्रावास में अधीक्षक को मजबूरन हल्दी पावडर, धनिया पावडर, सब्जी मसाला और अन्य सामग्रियां दुबारा खरीदनी पड़ी क्योंकि सी मार्ट से क्रय की गई सामग्रियां बच्चे खाने से मना कर रहे थे।

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