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दो पूर्व महापौरों की लड़ाई में मुख्य पार्टी पिछड़ न जाए ग्रामीण क्षेत्रों में

जगदलपुर (वेदांत झा) : जगदलपुर विधानसभा सीट से भाजपा ने जहां अपने महापौर रह चुके किरण देव को टिकट देकर विधानसभा की कमान सौंपी है। वहीं कांग्...

जगदलपुर (वेदांत झा) : जगदलपुर विधानसभा सीट से भाजपा ने जहां अपने महापौर रह चुके किरण देव को टिकट देकर विधानसभा की कमान सौंपी है। वहीं कांग्रेस ने भी देर से ही सही लेकिन तमाम अटकलों को विराम देते हुए, आज शाम को कांग्रेस से पूर्व महापौर जतिन जायसवाल को कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत किया है। किरण देव और जतिन जायसवाल दोनो ही नेता प्रमुख पार्टी भाजपा और कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हैं। और दोनो ही एक एक कार्यकाल के लिए जगदलपुर नगर के महापौर के रूप में कार्य कर चुके हैं। इससे इन दोनो के नगर निगम क्षेत्र में भली छवि और लोकप्रियता का अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन क्या ग्रामीण मतदाताओं को ये नेता आकर्षित कर पाएंगे, इसपर मंथन किया जाना आवश्यक है। इसमें कोई सवाल नही है कि सभी पार्टियों के पास अपने कार्यकर्ता और समर्थक अवश्य रहते हैं, जो केवल अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह और आलाकमान के निर्देशों पर ही प्रचार और वोट दिलाने का कार्य करते हैं। साथ साथ उस पार्टी के उम्मीदवार की लोकप्रियता और पिछले पांच सालों में सभी इलाकों में किए उनके कार्यों और दौरों के आधार पर भी मतदाता स्वतः उन्हें अपना मत देता है। 



एक ओर जहां अन्य पार्टियों में आम आदमी पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे. ने पिछले पांच वर्षों में जनता के मुद्दों को उठाने और मतदाताओं तक पहुंचने में काफी मेहनत की हैं, इससे ये पार्टियां दोनो उम्मीदवारों के लिए खतरा हो सकते हैं। परंतु कुछ कार्यकर्ताओं में दबी जुबान में असंतोष के स्वर भी सुनाई आ रहे हैं। बतादें आम आदमी पार्टी ने जगदलपुर से नरेंद्र भवानी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है वहीं जनता कांग्रेस जे. ने नवनीत चांद को, जिसमे आम आदमी पार्टी की नेत्री तरुण सावे के समर्थन में भी कुछ कार्यकर्ता असंतुष्ट दिखे, जनता कांग्रेस में भी कुछ नेताओं ने नवनीत चांद के अलावा विकल्प न होने पर पार्टी छोड़ने का अंदेशा जताया है। 


वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से बागी टी वी रवि भी अगर निर्दलीय चुनाव लड़ते है तो कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए घातक हो सकते हैं। टी वी रवि ने भी 2018 के विधानसभा में दावेदारी पेश की मगर उन्हें टिकट नहीं मिली, पर ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थकों ने रवि के निर्देश पर उस समय के उम्मीदवार रेखचन्द जैन को भारी मत दिलाए। बता दें जगदलपुर विधानसभा में अगर शहरी मतदाता 45 प्रतिशत हैं तो वहीं ग्रामीण मतदाताओं की संख्या 55 प्रतिशत है, लेकिन प्रांतीय सत्ताधारी कांग्रेस और केंद्रीय सत्ताधारी भाजपा का दो पूर्व नगर निगम महापौरों पर दांव खेलना टी वी रवि जैसे ग्रामीण दबदबा रखने वाले दावेदार के लिए बड़ा आघात है। इतने समय के इंतजार के बाद ऐसी प्रतिभा को मौका न देना ही इन्हे पार्टी से हट कर निर्दलीय चुनाव लड़ने को सही ठहराता है। 

अब देखना होगा कि 93651 (45%) शहरी मतदाताओं का प्रतिनिधित्व कर चुके महापौर इन सभी बाधाओं को पार कर पाते हैं या अंत में जगदलपुर विधानसभा भाजपा और कांग्रेस के लिए बड़ी गलती बनकर एक ऐतिहासिक मजाक बना कर सुनाया जाएगा। जहां एक लोकप्रिय और कर्मठ विधायक रेखचंद का टिकट काटकर एक गलत प्रयोग कांग्रेस ने किया, वहीं तीन बार के विधायक रह चुके अनुभवी संतोष बाफना को दरकिनार कर भाजपा ने कार्यकर्ताओं में असंतोष व्याप्त कर पार्टी में फुट डाल दिया। जो भी हो राजनैतिक ऊंट जिस भी करवट बैठे, 2023 विधानसभा चुनाव जगदलपुर के लिए यादगार अवश्य होगा। 

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