रायपुर : छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत चुनाव में एक बार फिर छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी ने पूर्व अध्यक्ष श्री चंद सुंदरानी ...
रायपुर : छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत चुनाव में एक बार फिर छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी ने पूर्व अध्यक्ष श्री चंद सुंदरानी को करारी शिकस्त दी। श्री पारवानी ने इससे पूर्व छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चुनाव में भी श्री चंद सुंदरानी गुट को हराकर अपनी सरलता सादगी व कर्मठता का परिचय दिया था। सिंधी समाज में श्री पारवानी की स्वीकारता लगातार बढ़ रही है और वह चुनाव के बाद सबको साथ लेने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि चुनाव में जो कुछ हुआ वह उचित नहीं कहा जा सकता फिर भी समाज के चुनाव में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होना जरूरी है।
आखिर सुंदरानी विवादों में क्यों? :
इस प्रक्रिया में श्री सुंदरानी की भूमिका संदेह में कही जा रही है। सूत्रों के अनुसार श्री सुंदरानी ने अपनी तरफ से अध्यक्ष पद के लिए चेतन तारवानी को खड़ा किया था एवं उसके सामने अमर पारवानी जी ने महेश दरयानी को खड़ा किया था महेश 83 वोट से चुनाव जीत गए कुल मत 540 थे।श्री सुंदरानी ने अपनी मर्जी से अपने हिसाब से लगभग 150 समाज के प्रमुख को मतदाता सूची से बाहर कर दिया और कारण दिया कि उन्होंने सदस्यता का नवीनीकरण नहीं कराया था एवं 170 लोग ऐसे जोड़ दिए जो उनके खुद के थे ऐसा उनका मानना था ।इस तरह की मतदाता सूची बनाने के बाद स्वयं मुख्य चुनाव अधिकारी बन गए एवं बाकायदा विज्ञप्ति जारी कर बताया गया की मुख्य चुनाव अधिकारी का आशीर्वाद चेतन तारवानी को है जबकि मुख्य चुनाव अधिकारी इस तरीके से किसी का पक्ष नहीं ले सकते ऐसे कई सारी गड़बड़ियां करने के बावजूद मतदान के दिन श्री सुंदरानी सरेआम यह दावा कर रहे थे कि मैं 170 ऐसे सदस्य बनाए हैं जिनके पास कोई पहुंच ही नहीं सकता है और हमारी गिनती 201 वोट से होगी हम चुनाव जीत चुके हैं मात्र औपचारिकता है ।इस तरीके के बयान सार्वजनिक तौर पर दे रहे थे उसके बाद परिणाम उनके खिलाफ है यह जाहिर करता है कि समाज में अब उनकी स्थिति क्या है खुद वह स्वयं मत पेटी के पास खड़े थे मुख्य चुनाव अधिकारी की हैसियत से
इस तरह से सीधे-सीधे चुनाव को अंतिम समय तक प्रभावित करने का प्रयास किया। अजीब बात यह है कि सिटिंग अध्यक्ष होते हुए स्वयं मुख्य चुनाव अधिकारी बनना और चुनाव में अपना पैनल उतरना यह दर्शाता है कि इस छोटे से चुनाव जिसमें मात्र 500 - 600 मतदाता थे उसको भी किस हद तक जाकर प्रभावित करने का प्रयास किया गया
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