जगदलपुर : बीजापुर जिले के पीडिया में हुई मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए सर्व आदिवासी समाज ने मंगलवार को बस्तर संभाग बंद का आह्वान किया। इस बंद ...
जगदलपुर : बीजापुर जिले के पीडिया में हुई मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए सर्व आदिवासी समाज ने मंगलवार को बस्तर संभाग बंद का आह्वान किया। इस बंद को बस्तर चेंबर ऑफ कामर्स ने भी दोपहर दो बजे तक समर्थन दिया। कांग्रेस ने भी इस बंद का पूरा समर्थन किया है। बस्तर संभाग के सातों जिलों - बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और कोंडागांव - में बंद का व्यापक असर देखा गया। हालांकि, आपातकालीन सेवाओं जैसे दवा की दुकानें खुली रहीं।
जगदलपुर में दिखा बंद का असर |
पुलिस का दावा और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया:
पुलिस का दावा है कि पीडिया गांव में हुई मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मार गिराया गया है। हालांकि, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नक्सली संगठनों, सर्व आदिवासी समाज, सीपीआई और कांग्रेस ने इसे फर्जी बताया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक कवासी लखमा ने भी मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए कहा कि तेंदूपत्ता तोड़ने गए ग्रामीणों को नक्सली बताकर मारा गया है। उन्होंने भाजपा और मौजूदा सरकार दोनों पर आदिवासियों के हित में काम न करने का आरोप लगाया।
सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बेला भाटिया का बयान:
सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बेला भाटिया ने कहा कि इतावार और पीडिया गांवों से पुलिस ने 76 लोगों को पकड़कर ले गई, जिनमें से 19 इतावार और 57 पीडिया के निवासी थे। इनमें से दो लोग दूसरे गांव के रहने वाले थे जो अपने रिश्तेदार के घर आए थे। उन्हें तेंदूपत्ता तोड़ते समय मार दिया गया।
सर्व आदिवासी समाज का निरीक्षण और बंद का प्रभाव:
सर्व आदिवासी समाज के 58 सदस्यीय दल ने 17 मई को पीडिया गांव का दौरा किया और पाया कि जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गए ग्रामीणों को मारा गया था। इसके विरोध में बस्तर संभाग बंद का आह्वान किया गया। नक्सलियों ने भी 26 मई को बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा बंद का एलान किया था, हालांकि बीजापुर जिला मुख्यालय में इसका प्रभाव नहीं देखा गया।
पीडिया का नक्सली प्रभाव और मुठभेड़ का सत्य:
बीजापुर जिले का पीडिया इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। यहां 10 मई को पुलिस की नक्सलियों के पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के साथ मुठभेड़ हुई थी। पुलिस ने दावा किया है कि इस मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मारा गया और उनके पास से हथियार और अन्य नक्सली सामग्री बरामद की गई। नक्सलियों ने अपने जारी प्रेस विज्ञप्ति में मारे गए 12 नक्सलियों में से केवल दो को अपने संगठन का बताया, बाकी को ग्रामीण बताया।
इस घटना ने बस्तर संभाग में आदिवासी समाज और प्रशासन के बीच तनाव को एक बार फिर उजागर किया है। सर्व आदिवासी समाज और कांग्रेस ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि नक्सली गतिविधियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों को मारा जा रहा है। प्रशासन को इस मामले में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि आदिवासियों का विश्वास बहाल हो सके।
No comments