बीजापुर : बीजापुर जिले के सहकारी बैंकों में नकदी संकट के कारण किसानों और ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आवापल्ली सहकार...
बीजापुर : बीजापुर जिले के सहकारी बैंकों में नकदी संकट के कारण किसानों और ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आवापल्ली सहकारी बैंक समेत जिले के कई बैंकों में नकदी की कमी के चलते ताले लटके हुए हैं।
बीजापुर के बैंकों में नकदी संकट: किसान परेशान, ताले लटकाए गए |
नकदी संकट की शुरुआत:
पिछले एक सप्ताह से आवापल्ली सहकारी बैंक के दरवाजे पर "पैसे नहीं हैं" की सूचना के साथ ताला जड़ा हुआ है। नकदी की कमी का यह सिलसिला लगातार जारी है, जिससे बैंक ग्राहकों, खासकर किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
भोपालपटनम सहकारी बैंक की स्थिति:
भोपालपटनम सहकारी बैंक में नकदी की कमी के चलते ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा तय कर दी गई है। पिछले 15 दिनों से अधिकतम 5,000 रुपये की निकासी की सीमा लागू है, जिससे ज्यादा जरूरत वाले किसान दर-दर भटकने को मजबूर हैं। अधिकांश किसानों के खाते सहकारी बैंकों में ही हैं और वर्तमान समय खेती-बाड़ी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्टेट बैंक पर निर्भरता:
जिले के कई बैंक नकदी के लिए स्टेट बैंक पर निर्भर हैं। स्टेट बैंक से नकदी नहीं मिलने के कारण अन्य बैंकों में नकदी की किल्लत बढ़ गई है। बैंक प्रबंधकों का कहना है कि स्टेट बैंक से नकदी नहीं मिल पाने की वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई है।
जिला सहकारी बैंक प्रबंधक का बयान:
जिला सहकारी बैंक, आवापल्ली के प्रबंधक रमेश लाल मरकाम ने बताया कि पिछले 15 दिनों से नकदी की कमी चल रही है। पहले प्रतिदिन 30 लाख रुपये की नकदी मिलती थी, जिसे अब 50 लाख रुपये कर दिया गया है। हालांकि, स्टेट बैंक से केवल चार-पांच लाख रुपये ही मिल रहे हैं, जिससे वितरण में कठिनाई हो रही है।
आरबीआई की भूमिका:
आरबीआई से नकदी नहीं आने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि चुनाव आचार संहिता के कारण नकदी संकट बढ़ा है और इसके हटने के बाद ही समस्या का समाधान हो सकेगा।
किसानों की दुर्दशा:
इस नकदी संकट ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खेती के सीजन में नकदी की कमी के कारण उन्हें अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाई हो रही है।
निष्कर्ष:
बीजापुर के सहकारी बैंकों में नकदी संकट एक गंभीर समस्या बन गई है, जिससे किसानों और ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन और संबंधित बैंक अधिकारियों को जल्द ही इस समस्या का समाधान करना होगा ताकि किसानों की दुर्दशा समाप्त हो सके और वे अपनी खेती-बाड़ी के काम सुचारू रूप से कर सकें।
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