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चीन बना भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार, लेकिन व्यापार असंतुलन एक चिंतनीय विषय

व्यापार (The Gazette) : चीनी अखबार "ग्लोबल टाइम्स" में छपे भारत और चीन के व्यापारिक संबंधों पर भारतीय दृष्टिकोण से एक लेख में व्या...

व्यापार (The Gazette) : चीनी अखबार "ग्लोबल टाइम्स" में छपे भारत और चीन के व्यापारिक संबंधों पर भारतीय दृष्टिकोण से एक लेख में व्यापार असंतुलन के बारे में बात करते हुए कहा कि चीन और भारत के बीच व्यापार में बढ़ते असंतुलन का मुद्दा गंभीर है। वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत ने चीन से $101.7 अरब की मात्रा में आयात किया, जबकि चीन से भारत के निर्यात केवल $16.67 अरब के करीब थे। इस असंतुलन ने व्यापारिक सम्बंधों को प्रभावित किया है, और इसका व्यापारिक द्विपक्षीयता पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।



इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए, भारत को विभिन्न उपायों पर गौर करना होगा। एक संभावित उपाय निवेश में वृद्धि करना हो सकता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो भारतीय उत्पादों की मांग को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, नए बाजारों के लिए खोज और विकसित किए जाने चाहिए, जो भारतीय उत्पादों को विश्व बाजार में एक बेहतर पहचान और पहुंच प्रदान करें।


उत्पादकता में सुधार करने और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए, सरकार को कठिनाईयों को हल करने के लिए व्यापारिक नीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, उत्पादन प्रक्रिया में नवाचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।


अंत में, यह महत्वपूर्ण है कि चीन और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को स्थिरता और संतुलन के साथ बढ़ावा दिया जाए, ताकि दोनों देशों को आर्थिक लाभ हो सके और द्विपक्षीय व्यापार का संरक्षण हो। आपको बता दें कि भारत के लिए पहले अमेरिका सबसे बड़ा आयत का बाजार रहा है, लेकिन कुछ सालों में अमेरिका को पछाड़ कर चीन पहले पायदान में आ गया है। लेकिन चीन के साथ व्यापार असंतुलन एक चिंतनीय विषय है जिसपर केंद्रीय सरकार को ध्यान देना और समाधान निकालना नितांत आवश्यक है।


(यह आलेख आपको कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य दें। अगर आप ऐसे और आलेख पढ़ने के शौकीन हैं तो जुड़े रहें The Gazette 🗞️ के साथ)

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