Editorial (The Gazette) : हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है, और इस साल यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्यों...
Editorial (The Gazette) : हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है, और इस साल यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी पत्रकारिता के 198 साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर हम आपको इस ऐतिहासिक दिन के शुरुआती दौर के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
हिंदी पत्रकारिता दिवस : अखबार उदन्त मार्तण्ड |
हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुरुआत 30 मई 1826 को 'उदन्त मार्तण्ड' नामक हिंदी अखबार के पहले प्रकाशन से हुई थी। यह अखबार कोलकाता से प्रकाशित हुआ था और इसे साप्ताहिक पत्रिका के रूप में पेश किया गया था। इसके संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल थे, जो कानपुर जिले में जन्मे और पेशे से वकील थे।
'उदन्त मार्तण्ड' अपने समय का एक क्रांतिकारी अखबार था, जो ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के खिलाफ खुलकर लिखता था। यह साप्ताहिक पत्रिका हर मंगलवार को प्रकाशित होती थी और इसमें कुल 8 पन्ने होते थे। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने अपनी निर्भीक पत्रकारिता से अंग्रेजों के दबावों को झेलते हुए भी निरंतर सच्चाई को उजागर किया।
उदन्त मार्तण्ड को उसकी निडरता और ईस्ट इंडिया कंपनी के दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाना जाता था। तमाम रुकावटों और अंग्रेजों के दवाब के बावजूद, शुक्ल ने हार नहीं मानी और लगातार अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ लिखते रहे।
आज, हिंदी पत्रकारिता दिवस के इस अवसर पर, हम उस साहस और संकल्प को सलाम करते हैं जिसने हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी और सच्चाई की आवाज को बुलंद किया। यह दिन हमें हमारे पत्रकारिता के गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता है और हमें प्रेरणा देता है कि हम भी सच्चाई और न्याय के लिए उसी निडरता के साथ काम करें।
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