नई दिल्ली : भारत के वाहन उद्योग में एक क्रांतिकारी बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, केंद्रीय सरकार ने अगले 10 वर्षों के भीतर देश की सड़कों...
नई दिल्ली : भारत के वाहन उद्योग में एक क्रांतिकारी बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, केंद्रीय सरकार ने अगले 10 वर्षों के भीतर देश की सड़कों से पेट्रोल और डीजल वाहनों को पूरी तरह से खत्म करने की योजना बनाई है। हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस आशय की घोषणा की।
हिमाचल प्रदेश के मंडी में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए गडकरी ने बताया कि भारत 2034 तक पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। पीटीआई समाचार एजेंसी के अनुसार, गडकरी ने कहा, "मैं 10 साल के भीतर इस देश से डीजल और पेट्रोल वाहनों को खत्म करना चाहता हूं। अब इलेक्ट्रिक स्कूटर, कार और बस आ गई हैं। आप जहां डीजल पर 100 रुपये खर्च करते हैं, वहीं ये 4 रुपये की बिजली खर्च करती हैं।"
गडकरी ने पारंपरिक वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के इस्तेमाल के लागत लाभों पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे परिवहन विकल्पों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने बार-बार प्रदूषण के स्तर को कम करने और कच्चे तेल पर निर्भरता घटाने की आवश्यकता पर बल दिया है। कच्चा तेल ज्यादातर विदेशों से आयात किया जाता है, जिससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है।
स्वच्छ परिवहन विकल्पों के मुखर समर्थक गडकरी ने यह भी कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बदलाव से न केवल पर्यावरणीय लाभ होंगे, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा। इस कदम से भारत के वाहन उद्योग में एक नई ऊर्जा का संचार होगा और वैश्विक स्तर पर भारत को एक अग्रणी स्थिति में पहुंचाने में मदद मिलेगी।
सरकार के इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीतिगत और बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधारों की आवश्यकता होगी। इस दिशा में सरकार द्वारा विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं और ईवी चार्जिंग स्टेशनों के नेटवर्क को बढ़ावा देने की उम्मीद की जा रही है।
यह कदम भारत को एक स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में ले जाएगा, जहां परिवहन न केवल किफायती होगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होगा। गडकरी के इस ऐलान ने वाहन उद्योग में नई उम्मीदें जगाई हैं और आने वाले समय में इसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
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