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जयपुर: एक संविदा कर्मी बिरजू जी की हरित क्रांति ने दी मिसाल

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पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण और परिश्रम का अद्वितीय उदाहरण



जयपुर : राजस्थान विश्वविद्यालय कैंपस में एक साधारण संविदा कर्मी बिरजू जी ने असाधारण कार्य कर दिखाया है। मात्र ₹5000 की मासिक तनख्वाह पाने वाले बिरजू जी ने अपने परिश्रम और समर्पण से 2714 पौधों को वृक्षों में बदलकर हरित क्रांति का एक बेमिसाल उदाहरण प्रस्तुत किया है।



बिरजू जी ने अपनी स्वेच्छा और कड़ी मेहनत से, पौधों को अपने बच्चों की तरह पाल-पोस कर वृक्ष बनाया। इस कार्य के लिए उन्हें किसी पुरस्कार या प्रशंसा की आकांक्षा नहीं थी। वे ना तो फोटो खिंचवाने के शौकीन हैं और ना ही अखबारों में सुर्खियां बटोरने के।





विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ कर्मचारियों को पौधरोपण और हरियाली बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया था, जिसमें बिरजू जी भी शामिल थे। उन्होंने इस प्रशिक्षण का भरपूर उपयोग करते हुए विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स बोर्ड के निकट सुनसान पड़े 50 बीघा क्षेत्र के दो मैदानों को साफ किया और वहां पौधरोपण किया। बिरजू जी ने नियमित रूप से इन पौधों को पानी, खाद और कीटनाशक दवाइयों का समय पर छिड़काव कर उनकी देखभाल की।


आज इन पौधों में से 2714 पौधे वृक्ष बन चुके हैं, जिनमें फल भी आने लगे हैं। इन वृक्षों से विश्वविद्यालय को मिल रही ऑक्सीजन की मात्रा का अंदाज लगाना मुश्किल है, लेकिन यह निश्चित है कि बिरजू जी का यह योगदान पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अतुलनीय है।


बिरजू जी की यह हरित क्रांति, पौधरोपण के नाम पर केवल औपचारिकता निभाने वाले संगठनों और व्यक्तियों के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है। उनके इस समर्पण और परिश्रम के लिए उन्हें साधुवाद और अभिनंदन!

साभार : सुनील एस पनवाल 

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