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शहीदों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकेगा: मोहम्मद अकबर

रायपुर : झीरम घाटी हमले की ग्यारहवीं बरसी के अवसर पर धरसींवा के शहीद उद्यान में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर पूर्व कैब...

रायपुर : झीरम घाटी हमले की ग्यारहवीं बरसी के अवसर पर धरसींवा के शहीद उद्यान में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर ने झीरम के शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि झीरम घाटी के हमले में शहीद हुए देश के वीर सपूतों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।



कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति:


श्रद्धांजलि कार्यक्रम में झीरम घाटी के शहीद योगेंद्र शर्मा की धर्मपत्नी, पूर्व विधायक अनिता शर्मा, और उनके पुत्र हर्षित शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे। इस मौके पर जिला पंचायत रायपुर अध्यक्ष डोमेश्वरी वर्मा, ग्राम पंचायत धरसींवा के उप सरपंच साहिल खान, धरसींवा के पूर्व सरपंच इकबाल कुरैशी, धरसींवा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष दुर्गेश वर्मा, शहीद योगेंद्र शर्मा के बड़े भाई और पूर्व कृषि मंडी रायपुर उपाध्यक्ष महेश शर्मा, सुधीर दुबे, योगेश द्विवेदी, रोशनपुरी गोस्वामी, मदन गोयल, और क्षेत्र के प्रमुख नागरिक भी उपस्थित थे।



झीरम घाटी हमले की पृष्ठभूमि:


यह उल्लेखनीय है कि 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में माओवादियों के एक हमले में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, और पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कई महत्वपूर्ण सदस्यों की जान चली गई थी। इस हमले ने प्रदेश और देश को हिला कर रख दिया था।


अकबर का संदेश:


पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर ने अपने संबोधन में कहा, "झीरम घाटी के शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की सेवा की। उनका बलिदान हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलकर हम उनके सपनों को साकार करेंगे।"


स्थानीय नेताओं और नागरिकों का समर्थन:


कार्यक्रम में शामिल स्थानीय नेताओं और नागरिकों ने भी शहीदों को नमन करते हुए उनके बलिदान को याद किया और उनके परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि शहीदों के परिवारों के साथ समाज की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें समर्थन और सम्मान प्रदान करें।


समाज के प्रति अपील:


इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि शहीदों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। समाज को मिलकर उनके सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे दुखद हादसे दोबारा न हों।

इस कार्यक्रम ने शहीदों के प्रति सम्मान और उनके बलिदान की स्मृति को ताजा किया। यह कार्यक्रम न केवल श्रद्धांजलि देने का अवसर था, बल्कि समाज को एकजुट होकर शहीदों के परिवारों के साथ खड़ा होने और उनके बलिदान का सम्मान करने की प्रेरणा भी देता है।

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