प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित 'कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद' से जुड़ी विभिन्न याचिकाओ...
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित 'कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद' से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं की पोषणीयता (सुनवाई योग्य होने) पर विचार करते हुए अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन इन याचिकाओं की पोषणीयता की सुनवाई कर रहे हैं। यह विवाद मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में मथुरा में स्थापित शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित है, जिसका निर्माण भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली पर कथित तौर पर एक मंदिर को तोड़ने के बाद किया गया था।
बृहस्पतिवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता तस्लीमा अजीज अहमदी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि ये वाद पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 और कुछ अन्य कानूनों के प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित हैं। अहमदी ने यह भी तर्क दिया था कि ये वाद शाही ईदगाह मस्जिद के ढांचे को हटाने और मंदिर बहाल करने के लिए दायर किये गये हैं। उनके अनुसार, यह दर्शाता है कि मस्जिद का ढांचा मौजूद है और उसका कब्जा प्रबंधन समिति के पास है।
अधिवक्ता अहमदी ने कहा, “इस प्रकार से वक्फ संपत्ति पर प्रश्न/विवाद खड़ा किया गया है और इसलिए यहां वक्फ अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। तदनुसार, इस मामले में सुनवाई का अधिकार वक्फ अधिकरण के पास है, न कि दीवानी अदालत के पास।”
अब सभी की निगाहें न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन के निर्णय पर टिकी हैं, जो इस विवाद के समाधान के लिए महत्वपूर्ण होगा। इससे पहले, इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर बड़ी चर्चा पैदा की है। हाईकोर्ट का यह निर्णय आने वाले समय में मथुरा विवाद को एक नई दिशा देने में अहम भूमिका निभा सकता है।
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