Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जारी किए सख्त निर्देश, अशासकीय विद्यालयों की मनमानी फीस पर लगेगी रोक

यह भी पढ़ें -

रायपुर : छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी जिला कलेक्टरों और जिला फीस समिति के अध्यक्षों को एक सख्त पत्र जारी किया है। इस पत्र में आय...

रायपुर : छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी जिला कलेक्टरों और जिला फीस समिति के अध्यक्षों को एक सख्त पत्र जारी किया है। इस पत्र में आयोग ने अशासकीय विद्यालयों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वसूली पर कड़ा रुख अपनाते हुए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।




आयोग ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन कानून के अनुसार, विद्यालय फीस समिति में जागरूक और निष्पक्ष अभिभावकों को शामिल नहीं किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, आय-व्यय से संबंधित विवरणों का प्रकटन नहीं किया जा रहा है और जिला फीस समिति की नियमित बैठकें नहीं हो रही हैं। इन कारणों से उपयुक्त फीस निर्धारण में असफलता हो रही है और पालकों से अतिरिक्त कैपिटेशन फीस वसूली जा रही है। 



शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 13 के तहत यह कार्य गैरकानूनी है और 10 गुना जुर्माने से दंडनीय है। वहीं, फीस विनियमन अधिनियम की धारा 12 के तहत विद्यालय की प्रबंधन समिति के सदस्यों पर भी इसी प्रकार की सजा लागू होती है।


आयोग ने बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 13, 14 के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए निर्देश दिए हैं कि अशासकीय विद्यालयों में उपयुक्त फीस निर्धारण के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। साथ ही, यह जांच भी की जाए कि मान्यता प्रदान करने की शर्तों के अनुसार विद्यालय का संचालन बिना किसी लाभ के उद्देश्य से हो। विद्यालय प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से फीस में छूट देने और अन्य नाम से फीस वसूली पर रोक लगाई जाए। 




इसके अतिरिक्त, आयोग ने निर्देशित किया है कि विद्यालय फीस समिति में शामिल होने की जानकारी सार्वजनिक की जाए और निर्धारित फीस को 4x8 फीट के बोर्ड सहित विद्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए।


आयोग ने दिनांक 20 जून 2024 तक की गई कार्यवाही और निर्धारित फीस की सूची के ब्योरे प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिए हैं।


इस आदेश से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग के इस कदम से अशासकीय विद्यालयों में मनमाने तरीके से फीस वसूली पर रोक लगेगी और पालकों को राहत मिलेगी।

No comments