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वीरांगना रानी दुर्गावती बलिदान दिवस पर कांकेर में भव्य आयोजन

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कांकेर : गोंडवाना समाज, अधिकारी-कर्मचारी प्रभाग ने वीरांगना रानी दुर्गावती बलिदान दिवस को जिला मुख्यालय कांकेर में भव्यता से मनाया। भूमियार ...

कांकेर : गोंडवाना समाज, अधिकारी-कर्मचारी प्रभाग ने वीरांगना रानी दुर्गावती बलिदान दिवस को जिला मुख्यालय कांकेर में भव्यता से मनाया। भूमियार चौक कलेक्ट्रेट रोड पर आयोजित इस कार्यक्रम में माननीय विधायक आशाराम नेताम जी मुख्य अतिथि थे। उन्होंने वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर पुष्प और फूलमाला अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और गोंडवाना राज्य के गौरवशाली इतिहास का विस्तार से वर्णन किया।


रानी दुर्गावती, जो गोंडवाना की अंतिम शासिका थीं, अपने अद्वितीय साहस और वीरता के लिए जानी जाती हैं। मोहबा के चंदेल राजा की पुत्री रानी दुर्गावती का विवाह 1540 में राजा संग्राम शाह से हुआ था। मात्र 7 वर्षों के अल्प शासन के बाद राजा संग्राम शाह का निधन हो गया, जिसके बाद रानी दुर्गावती ने गड़मंडला का शासन संभाला और 15 वर्षों तक गोंडवाना राज्य की प्रतिष्ठा और शौर्य को बनाए रखा। 1564 में मुगल बादशाहों द्वारा गोंडवाना राज्य पर आक्रमण के दौरान, रानी दुर्गावती ने रणक्षेत्र में लड़ते हुए नारी सम्मान की रक्षा के लिए बलिदान दिया।


इस बलिदान दिवस कार्यक्रम में माननीय विधायक आशाराम नेताम जी के साथ-साथ श्रीमती सुमित्रा मारकोले जी, श्री शिशुपाल शोरी जी, श्री हेमंत ध्रुव जी, श्री राजेश भास्कर जी, कन्हैया उसेड़ी, रामचरण कोर्राम, सगेसिंह वटी, रघुवीर प्रसाद मडावी, जया कांगे, भरत मटियारा जी, लक्ष्मण कावड़े, डॉ. अरविंद कोर्राम, श्रीमती तारा ठाकुर, श्रीमती मीरा सलाम, बीरबल गढ़पाले, प्रकाश ठाकुर, सुरेखा मेश्राम, अनु वासनिकर सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

समाज के अनेक सदस्यों ने भी इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें श्रीमती शकुन्तला ताराम, हेमलता मांडवी, उर्मिला कावड़े, सरला नेताम, पूनम नेताम, भारती नेताम, उषा मरकाम, राखी वट्टी, सुनीति ध्रुव, राखी ठाकुर, पुष्पा नेताम, कुमुद जुर्री, महेश मरकाम, शंभू शोरी, बिरजू कवाची, रामजी लाल वट्टी, अमर तारम, अनिल नेताम, निर्भय वट्टी, श्रीमती लता, श्रीमती सुशीला मांडवी आदि शामिल थे।


कार्यक्रम का सफल संचालन हेमलता मांडवी ने किया, और नन्हीं बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम ने सभी का मन मोह लिया। बड़ी संख्या में उपस्थित गोंडवाना समाज के लोगों ने इस आयोजन को और अधिक भव्य बना दिया।

यह बलिदान दिवस न केवल रानी दुर्गावती के अद्वितीय साहस को याद करने का अवसर था, बल्कि गोंडवाना समाज के गौरव और संघर्ष की प्रेरणादायक गाथा को भी पुनर्जीवित करने का महत्वपूर्ण दिन रहा।

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