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नेता को दिया मंत्री पद, लेकिन मंत्री बनने से किया इंकार दूसरी ओर एनडीए में दिख रही दरार

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नई दिल्ली :  केरल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का खाता खोलने वाले सुरेश गोपी को राज्य मंत्री बनाया गया है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चु...

नई दिल्ली : केरल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का खाता खोलने वाले सुरेश गोपी को राज्य मंत्री बनाया गया है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में थ्रिसूर सीट से जीत हासिल करने वाले गोपी ने अब संकेत दिए हैं कि वह मंत्री पद नहीं चाहते हैं। उन्होंने फिल्मों में काम करने की भी बात कही है। फिलहाल, पार्टी की तरफ से इसे लेकर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।




मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोपी ने कहा, "मैं सांसद के तौर पर काम करना चाहता हूं। मेरा मत था कि मुझे कैबिनेट में जगह नहीं चाहिए। मैंने पार्टी से कहा भी था कि मुझे इसमें दिलचस्पी नहीं है। मुझे लगता है कि मुझे जल्द ही इससे मुक्त कर दिया जाएगा।" यह बयान ऐसे समय पर आया है जब रविवार को हुए शपथ ग्रहण के बाद सोमवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट पहली बार बैठक करने जा रही है।

 

एनडीए में असंतोष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ले लिया। उनके साथ उनकी कैबिनेट के मंत्री भी शपथ लिए। माना जा रहा है कि 80 से अधिक नेता इस मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। हालांकि, इससे पहले एनडीए में खींचतान देखने को मिली। महाराष्ट्र से एनडीए के सहयोगी अजित पवार की पार्टी एनसीपी नाराज दिख रही है। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि उन्हें भाजपा ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। 


प्रफुल्ल पटेल के बयान पर अजित पवार ने कहा है कि एनसीपी कैबिनेट मंत्री पद के लिए इंतजार करने के लिए तैयार है। यह असंतोष ऐसे समय पर सामने आया है जब भाजपा नीत गठबंधन- एनडीए को घटक दलों के नेताओं को भी मंत्री पद देने हैं। एनसीपी के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि केंद्रीय राज्यमंत्री का पद लेना उनके लिए कठिन है और यह पदावनति यानी डिमोशन जैसा है।


इस खींचतान और असंतोष के बीच, मोदी सरकार के सामने गठबंधन की एकजुटता बनाए रखने की चुनौती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इन मसलों को कैसे सुलझाती है और गठबंधन में समन्वय बनाए रखने में कैसे कामयाब होती है।

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