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बस्तर में आदिवासी जनप्रतिनिधि असंवेदनशील: सोनी सोरी का आरोप

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जगदलपुर  : मूलवासी बचाओ मंच की प्रमुख कार्यकर्ता सोनी सोरी ने सोमवार को एक पत्रकार वार्ता में आदिवासी जनप्रतिनिधियों पर असंवेदनशील होने का आ...

जगदलपुर : मूलवासी बचाओ मंच की प्रमुख कार्यकर्ता सोनी सोरी ने सोमवार को एक पत्रकार वार्ता में आदिवासी जनप्रतिनिधियों पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाया। इस आरोप के पीछे बीजापुर जिले के कोरचोली गाँव की रहने वाली सुनीता पोटाम की गिरफ्तारी का मामला है। सुनीता को तीन जून को रायपुर से नक्सल मामले में गिरफ्तार किया गया था। सोरी का कहना है कि सुनीता को फर्जी ढंग से गिरफ्तार किया गया और जेल में अमानवीय व्यवहार किया गया।

प्रेस क्लब में आयोजित इस पत्रकार वार्ता में सुनीता पोटाम के पिता आयतू पोटाम, मूलवासी बचाओ मंच के अन्य सदस्य सावित्री पोटाम, आयतू पोटाम, विनेश, श्रेया और पीयूसीएल की पदाधिकारी रिनचिन भी उपस्थित थे। सुनीता पोटाम रायपुर में पढ़ाई कर रही थीं और मंच से जुड़कर आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए सक्रिय थीं। पुलिस ने उन पर नक्सल मामलों में शामिल होने और नाम बदलकर रहने का आरोप लगाया है।


सोनी सोरी ने कहा कि बस्तर में आदिवासी दोनों तरफ से मारे जा रहे हैं और किसी भी आदिवासी जनप्रतिनिधि को इसकी चिंता नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजापुर की महिला डीएसपी ने सुनीता पोटाम को मानवता को ताक पर रखकर गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के दौरान, सुनीता को अमानवीय ढंग से घसीटते हुए जेल में बंद किया गया और उनकी बुनियादी जरूरतों को अनदेखा किया गया।


सोनी सोरी ने सरकार से अपील की कि वह सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत सभी वर्गों को साथ लेकर नक्सल संगठन से हिंसा बंद करने के लिए वार्ता की पहल करे। उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में शांति की पक्षधर है तो उसे आदिवासी समुदाय के अधिकारों और सुरक्षा पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।


इस मामले ने एक बार फिर आदिवासी समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता और उनके अधिकारों के हनन के मुद्दे को उजागर किया है, जो बस्तर में लंबे समय से चला आ रहा है।

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