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बस्तर में धूमधाम से मनाया जाएगा गोंचा महापर्व, देखिए किस दिन 32 फीट ऊंचे रथ में सवार होंगे भगवान जगन्नाथ

जगदलपुर :  बस्तर क्षेत्र में ऐतिहासिक बस्तर दशहरा के बाद गोंचा महापर्व को भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में भगवान जगन्नाथ, मात...

जगदलपुर : बस्तर क्षेत्र में ऐतिहासिक बस्तर दशहरा के बाद गोंचा महापर्व को भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र को 32 फीट ऊंचे, 4 चक्कों वाले रथ में सवार कर शहर में भ्रमण कराया जाएगा।



गोंचा महापर्व की परंपरा पिछले 600 सालों से बस्तर में निभाई जा रही है। बस्तरवासियों का यह महापर्व पूरी की तर्ज पर मनाया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा देखने आते हैं। 



कहा जाता है कि बस्तर के राजा पुरुषोत्तम देव जब भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पुरी गए थे, तो उन्हें वहां रथपति की उपाधि दी गई थी। राजा पुरुषोत्तम देव 16 चक्कों वाले रथ में सवार होकर बस्तर पहुंचे थे, जिसके बाद से ही बस्तर दशहरा में 8 चक्कों के रथ का चलन शुरू हुआ। इस रथ को चलाने की परंपरा आज भी जारी है। गोंचा महापर्व में 4 चक्कों वाले रथ को तैयार किया जाता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र को पूजा-अर्चना के बाद शहर में भ्रमण कराया जाता है।



इस वर्ष भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा को 6 जुलाई को नेत्रोउत्सव के बाद रथारूढ़ कर शहर का परिक्रमा कराया जाएगा। इस 32 फीट ऊंचे रथ का निर्माण करने वाले कारीगर सालो बेडा उमर गांव के हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी जगदलपुर में आकर रथ बनाने का कार्य करते हैं। उनकी आस्था और निपुणता के चलते रथ का निर्माण महज कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा।


गोंचा महापर्व का आयोजन बस्तर में जगन्नाथ पुरी की तरह ही बड़े ही धूमधाम से किया जाता है। भक्तों की अपार आस्था और उत्साह के साथ यह पर्व मनाया जाता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ के प्रति लोगों की श्रद्धा और प्रेम का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

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