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भारतीय न्याय संहिता: न्याय की दिशा में एक नया कदम

कलम से ✍️ :  1 जुलाई 2024 से भारतीय दण्ड संहिता अब भारतीय न्याय संहिता के रूप में लागू हो गई है, जो कई महत्वपूर्ण सुधार और बदलाव लेकर आई है।...

कलम से ✍️ : 1 जुलाई 2024 से भारतीय दण्ड संहिता अब भारतीय न्याय संहिता के रूप में लागू हो गई है, जो कई महत्वपूर्ण सुधार और बदलाव लेकर आई है। यह नया कानून न्यायिक प्रक्रिया को तेजी और पारदर्शिता प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया है। 




समय पर न्याय की गारंटी

नए कानून के तहत, न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए समय-सीमाएं निर्धारित की गई हैं:


- शिकायत दर्ज कराने पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से 3 दिन में FIR दर्ज होगी।

- यौन उत्पीड़न की जाँच रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर भेजी जाएगी।

- पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।

- आपराधिक मामलों में मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के अंदर निर्णय देना होगा।


न्याय केंद्रित दंड


भारतीय न्याय संहिता अब दंड की जगह न्याय पर केंद्रित है। छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सजा का प्रावधान किया गया है। 5000 रुपए से कम मूल्य की चोरी पर कम्युनिटी सर्विसेज का प्रावधान है, और छह अपराधों में यह समाहित किया गया है।


महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को प्राथमिकता दी गई है। नए कानून में इनसे संबंधित 35 धाराओं में संशोधन और नए प्रावधान जोड़े गए हैं:


- गैंगरेप पर 20 साल की सजा या आजीवन कारावास।

- नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार पर मौत की सजा या आजीवन कारावास।

- झूठा वादा या पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध है।


तकनीक का उपयोग

नए कानून में तकनीकी प्रगति का पूर्ण उपयोग किया गया है:


- कम्प्यूटरीकृत पुलिस इन्वेस्टिगेशन और कोर्ट की प्रक्रिया।

- ई-रिकॉर्ड्स, जीरो FIR, ई-FIR, और चार्जशीट डिजिटल रूप में होंगे।

- 90 दिनों में पीड़ित को जानकारी मिलेगी।

- 7 साल या अधिक की सजा वाले मामलों में फोरेंसिक अनिवार्य है।


मॉब लिंचिंग पर सख्त कार्रवाई

पहली बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है और इसके लिए 7 साल की कैद का प्रावधान किया गया है। स्थायी विकलांगता होने पर 10 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान है।


विक्टिम सेंट्रिक कानून

नए कानून में विक्टिम के अधिकारों को प्रमुखता दी गई है:


- जीरो FIR दर्ज करने का प्रावधान।

- विक्टिम को FIR की एक प्रति निःशुल्क मिलेगी।

- 90 दिनों के भीतर जाँच की प्रगति की जानकारी दी जाएगी।


राजद्रोह को हटाना और देशद्रोह की व्याख्या


अंग्रेजों के जमाने के राजद्रोह कानून को समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, देश विरोधी हरकतों के लिए कठोर सजा का प्रावधान है।


पुलिस की जवाबदेही


पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सर्च और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य की गई है। गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना देना और 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है।


भारतीय न्याय संहिता के इन सुधारों से न्याय प्रणाली में पारदर्शिता, तेजी, और न्याय की उपलब्धता बढ़ने की उम्मीद है। यह कानून भारतीय न्यायिक प्रणाली को विश्व की सबसे आधुनिक और सशक्त प्रणाली बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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