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सरकारी भूमि पर माफियाओं का कब्जा: करोड़ों की जमीन बेची, राजस्व विभाग की मिलीभगत उजागर

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जगदलपुर : शहर और इसके आसपास के इलाकों में सरकारी जमीन को अवैध रूप से बेचने का मामला सामने आया है। माफियाओं, पटवारियों और आरआई की मिलीभगत से ...

जगदलपुर : शहर और इसके आसपास के इलाकों में सरकारी जमीन को अवैध रूप से बेचने का मामला सामने आया है। माफियाओं, पटवारियों और आरआई की मिलीभगत से धरमपुरा में करोड़ों रुपये की सरकारी भूमि की न केवल रजिस्ट्री करवाई गई, बल्कि इसे धमतरी के एक प्रभावशाली व्यक्ति को बेच भी दिया गया।

धरमपुरा डामरबाड़ा के पास की यह जमीन वर्ष 1972 से राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधिपत्य में थी। सितंबर 2020 में विभाग ने यहां स्थित स्टोर रूम का सामान नीलाम कर दिया। इसके बाद भूमाफियाओं ने इस जमीन पर अवैध चहारदीवारी खड़ी कर दी। एनएच की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर ने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था, लेकिन बाद में राजस्व रिकार्ड में बदलाव कर जमीन को निजी व्यक्ति के नाम चढ़ा दिया गया।

हाल ही में इस भूमि को चंद्रा कंस्ट्रक्शन के संचालक ने पूर्व विधायक गुरुमुख सिंह होरा की पत्नी हरमीत सिंह होरा के नाम रजिस्ट्री कर दी। नामांतरण के लिए आवेदन दिए जाने पर एनएच ने आपत्ति दर्ज करवाई। इस प्रकरण की तहसीलदार न्यायालय में सुनवाई चल रही है।


राजस्व अधिकारियों की संपत्ति जांच की मांग

जिला कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के सचिव दिलीप सेठिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राजस्व विभाग के अधिकारियों की संपत्ति जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पटवारी सीमांकन से खाता बंटवारा तक के कार्यों के लिए 20 से 30 हजार रुपये तक की रिश्वत लेते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शहर के पटवारियों और आरआई ने भ्रष्टाचार के माध्यम से अकूत संपत्ति अर्जित की है।


प्रशासन की प्रतिक्रिया


तहसीलदार रूपेश मरकाम ने बताया कि यह मामला बहुत पुराना है और हाल ही में उन्होंने नामांतरण दावा खारिज करने का आदेश जारी किया है। एसडीओ एनएच जीएस सोरी ने कहा कि विभाग की अधिपत्य वाली भूमि को अतिक्रमित कर बेचा गया था, और विभाग ने इस पर आपत्ति दर्ज की है। 


यह मामला सरकारी भूमि की अवैध बिक्री और प्रशासनिक भ्रष्टाचार की एक महत्वपूर्ण कड़ी को उजागर करता है, जिससे प्रशासन और जनता में आक्रोश बढ़ रहा है।

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