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किरंदुल में फिर पानी का कहर: सैकड़ों घर तबाह

दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में स्थित एनएमडीसी की लौह अयस्क खदान 11B का डेम शनिवार सुबह फिर से फटा, जिससे पहाड़ियों स...

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में स्थित एनएमडीसी की लौह अयस्क खदान 11B का डेम शनिवार सुबह फिर से फटा, जिससे पहाड़ियों से बहकर हजारों लीटर पानी और मलबा शहर के घरों में घुस गया। इस घटना ने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई, जिससे लोगों का जीवन संकट में पड़ गया है।




लगातार दूसरी बार डेम टूटा

कुछ दिन पहले भी एनएमडीसी डेम का पानी और मलबा लोगों के घरों में घुसा था, जिससे सैकड़ों घर, वाहन, और लोगों की जिंदगी भर की जमा पूंजी नष्ट हो गई थी। इस आपदा के बाद लोगों की जिंदगी पटरी पर आने की कोशिश कर रही थी, लेकिन फिर से डेम के फटने से स्थिति और गंभीर हो गई है।


घर-घर में तबाही का मंजर

डेम के फटने से बंगाली कैम्प के वार्ड 3, 4, और 6 में 100 से अधिक घरों को भारी नुकसान हुआ है। हरिभूमि डॉट कॉम की टीम ने पीड़ितों से मुलाकात कर स्थिति का जायजा लिया। कई घरों में 1 फीट से अधिक लौह अयस्क का मलबा जमा हो गया है, जिसे हटाने के लिए पालिका और एनएमडीसी के ठेका श्रमिक काम कर रहे हैं। 


टीवी, कूलर, और फ्रीज बह गए

तबाही का आलम यह था कि, कई घरों में घरेलू उपयोग के टीवी, कूलर, आलमारी, और फ्रीज बहकर सड़कों पर आ गए। इस आपदा के लिए पीड़ित एनएमडीसी प्रोजेक्ट और नगर पालिका किरंदुल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।


प्रशासन की कार्रवाई

प्रशासनिक टीम ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है और पास के मंगल भवन में राहत शिविर बनाकर पीड़ितों को अस्थायी तौर पर रखा गया है। राहत कार्य तेजी से चल रहा है और पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए एक टीम काम कर रही है।


कांग्रेस की चेतावनी

कांग्रेस जिलाध्यक्ष अवधेश गौतम ने स्थिति का जायजा लेते हुए एनएमडीसी को इस हादसे के लिए कसूरवार ठहराया है। उन्होंने मांग की है कि पीड़ितों को पूरे नुकसान की भरपाई एनएमडीसी से की जाए। यदि मांग पूरी नहीं होती है, तो कांग्रेस एनएमडीसी के खिलाफ उग्र आंदोलन और चक्का जाम की चेतावनी दे रही है।

दंतेवाड़ा में एनएमडीसी के डेम के फटने से हुई तबाही ने एक बार फिर से इस क्षेत्र की गंभीर समस्याओं को उजागर किया है। प्रशासन की तत्परता और राजनीतिक दलों की चेतावनियों के बीच, पीड़ितों की जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिशें जारी हैं। इस घटना ने दिखाया कि प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ मानवीय लापरवाही भी बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकती है।

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